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बीकानेर

बीकानेर स्थापना दिवस : कई शैलियों में होती है पतंगबाजी, होती हैं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं, देखें तस्वीरें

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6 years ago
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नगर स्थापना दिवस पर रियासतकाल से पतंगबाजी की परम्परा है। आखाबीज और आखातीज के दिन लोगों को पतंगबाजी के लिए जोश और जुनून परवान पर रहता है। चिलचिलाती धूप के बावजूद बड़ों के साथ बच्चे भी दिनभर पतंग उड़ाते हैं। नगर में शौकिया पतंगबाजी के साथ सालभर पतंगबाजी की भी परम्परा है। यहां राज्य और राष्ट्रीय स्तर की पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं भी होती रही हैं।

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मैदानी पतंगबाजी चाहे नियम-कायदों के अनुसार होती है, लेकिन नगर स्थापना दिवस पर घर-घर होने वाली पतंगबाजी में लोग हर तरह से लुत्फ उठाते हैं। बिना किसी नियम-कायदे और शैली के महज उड़ाने व काटने के लिए होने वाली पतंगबाजी में गोळिया, फर्राटा, फ्री स्टाइल और खींचाखींची शैली प्रमुख हैं। वर्तमान में गोळिया शैली का उपयोग बहुत कम हो रहा है।

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शहर में पतंगबाजी की शैली में 'गोळिया' पेंच पुरानी शैली है। दशकों से यह शैली पतंगबाजी का प्रमुख हिस्सा रही है। पतंगबाज महेश ओझा बताते है कि इस शैली में पतंगों के पेंच लम्बी दूरी तक चलते हैं। हाथों के इशारों और धीरे-धीरे मांझे की ढील के बीच पतंगें उड़ती हैं। पतंगबाज का ढील पर मजबूत पकड़ इस शैली में प्रमुख होती है। ओझा के अनुसार शहर के कई पतंगबाजों को इस शैली में महारत हासिल थी।

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फ्री स्टाइल पतंगबाजी की शैली का अधिकतम उपयोग मैदानी पतंगबाज करते हैं। घरों की छतो पर भी कई पतंगबाज इस शैली का उपयोग करते हैं। इस शैली में मांझे से पतंग को हाथ से थपकी दी जाती है। पेंच लड़ाते ही पीछे की ओर जाना, पतंग को मांझे से अधिक हिलाना इस शैली में शामिल होता है।

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पतंगबाजी की यह शैली आम है। इसमें कोई भी पतंगबाज पेंच के समय पतंग को ऊपर या नीचे से तेज गति से खींचते है। स्थानीय भाषा में इस शैली को 'खींचाखींची' भी कहते हैं। इस शैली में बहुत ही कम पतंगबाजों को महारत हासिल होती है। तेज गति से डोर खींचकर प्रतिद्वंद्वी की पतंग की डोर काटना इस शैली में शामिल होता है।

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'फर्राटा' मैदानी पतंगबाजी की शैली है। पतंगबाज महेश ओझा बताते है कि इस शैली में पेंच छोटा और दो टुकड़ों में होता है। राष्ट्रीय स्तर पर इस शैली में महारत हासिल कई पतंगबाज हैं। मैदानों में वर्तमान में इस शैली का उपयोग हो रहा है।

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