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लगाव से कर रहे चंदा बनाने की परम्परा का निर्वाह

locationबीकानेरPublished: Apr 25, 2019 10:00:22 am

Submitted by:

Ramesh Bissa

बीकानेर. बीकानेर की स्थापना दिवस की तैयारियां शुरू हो गई है। विशेष रूप से चंदा बनाकर उसको उड़ाने की परम्परा का निर्वाह भी हर साल किया जाता है।

bikaner foundation day

लगाव से कर रहे चंदा बनाने की परम्परा का निर्वाह

बीकानेर. बीकानेर की स्थापना दिवस की तैयारियां शुरू हो गई है। एक तरफ जहां शहर में पतंगों की दुकानें सज रही है। वहीं दूसरी तरफ विशेष रूप से चंदा बनाकर उसको उड़ाने की परम्परा का निर्वाह भी हर साल किया जाता है। पांच सौ साल से भी ज्यादा पुरानी यह परंपरा बीकानेर में आज भी कायम है। विशेष कागज से तैयार और अलग तरह की मोटी डोरी से नगर स्थापना दिवस पर जूनागढ़ की प्राचीर, लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर व मुख्य मोहल्लों में चंदे उड़ाएं जाएंगे।इसको बनाने की कला में जुटे सुरेश कुमार आचार्य, ब्रजेश्वर, गणेश व्यास, किशन पुरोहित, अनिल बोडा सहित कई लोग अभी से चंदे तैयार करने में जुटे हैं।
३२ साल से लगाव
सुरेश कुमार आचार्य को बचपन से ही चंदे का महत्व जानने की ललक थी। जीवन में कभी पतंग नहीं उड़ाई लेकिन चंदा बनाने और उसको उड़ाने की रस्म आज भी पूरी करते हैं। आचार्य ने बताया कि हीरालाल सेवग से यह परम्परा विरासत में मिली है। बीते ३२ साल से लगातार वे स्थापना दिवस पर चंदा बनाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए बही-खाता के कागज, सूती डोरी, पगड़ी का कपड़ा काम में लिया जाता है। एक चंदे को तैयार करने में तीन से पांच घंटे का समय लगता है। आचार्य के परिवार में भतीजा जयकिश्
संस्कृति की भी झलक
चंदा तैयार करने में लगे सुरेश कुमार आचार्य ने बताया कि बीकानेर नगर की स्थापना के समय शगुन के तौर पर मोटी डोर से विशेष सामग्री से तैयार चंदा आसमान में उड़ाया गया था। तब से ही शहर में इस परम्परा का निर्वाह हो रहा है। इन चंदों में नगर की स्थापना करने वाले राव बीकाजी, यहां की संस्कृतिक व इतिहास की झलक देखने को मिलती है। साथ ही शिक्षा, कन्या भू्रण हत्या रोकने, पानी बचाने व मतदान करने का संदेश भी दिया जाता है। बेटा तुषार, यशोवर्धन व अभिषेक आचार्य की युवा टीम भी परम्परा को आगे बढ़ाने में जुटी है।
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