गणगौरी तीज पर पूर्व बीकानेर राज परिवार की गणगौर प्रतिमा जनाना ड्योढ़ी से निकाली गई। जूनागढ़ परिसर में ही िस्थत कुए पर पानी पिलाने की रस्म हुई व गणगौर की प्रतिमा पुन: जनाना ड्योढ़ी पहुंची। पंडित गंगाधर व्यास के अनुसार इस बार जूनागढ़ से शाही लवाजमें के साथ गणगौर की सवारी नहीं निकाली गई। जूनागढ़ परिसर में ही िस्थत कुए पर पानी पिलाने की रस्म हुई। इस दौरान भगवती देवी ने गणगौर प्रतिमा को अपने सिर पर विराजित की व पुष्पा देवी ने पानी पिलाने की रस्म निभाई। इस दौरान जूनागढ़ इंचार्ज कर्नल देवनाथ सिंह, माधव सिंह सहित पंडित लव देरासरी आदि उपिस्थत रहे। वहीं महिलाओं ने जूनागढ़ परिसर में ही गणगौर प्रतिमा के दर्शन किए। गणगौर तीज व चतुर्थी पर हर साल जूनागढ़ से चौतीना कुआ तक शाही लवाजमें के साथ गणगौर की सवारी निकाली जाती है। चौतीना कुआ पर पानी पिलाने की रस्म होती है। इस बार पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी के निधन पर शोक होने के कारण शाही लवाजमें के साथ सवारी जूनागढ़ से नहीं निकाली गई।
गणगौरी तीज पर पूर्व बीकानेर राज परिवार की गणगौर प्रतिमा जनाना ड्योढ़ी से निकाली गई। जूनागढ़ परिसर में ही िस्थत कुए पर पानी पिलाने की रस्म हुई व गणगौर की प्रतिमा पुन: जनाना ड्योढ़ी पहुंची। पंडित गंगाधर व्यास के अनुसार इस बार जूनागढ़ से शाही लवाजमें के साथ गणगौर की सवारी नहीं निकाली गई। जूनागढ़ परिसर में ही िस्थत कुए पर पानी पिलाने की रस्म हुई। इस दौरान भगवती देवी ने गणगौर प्रतिमा को अपने सिर पर विराजित की व पुष्पा देवी ने पानी पिलाने की रस्म निभाई। इस दौरान जूनागढ़ इंचार्ज कर्नल देवनाथ सिंह, माधव सिंह सहित पंडित लव देरासरी आदि उपिस्थत रहे। वहीं महिलाओं ने जूनागढ़ परिसर में ही गणगौर प्रतिमा के दर्शन किए। गणगौर तीज व चतुर्थी पर हर साल जूनागढ़ से चौतीना कुआ तक शाही लवाजमें के साथ गणगौर की सवारी निकाली जाती है। चौतीना कुआ पर पानी पिलाने की रस्म होती है। इस बार पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी के निधन पर शोक होने के कारण शाही लवाजमें के साथ सवारी जूनागढ़ से नहीं निकाली गई।