अब दिन में पैंतीस से चालीस ऑर्डर
शिल्पकार श्यामसुंदर नायक ने बताया कि कोरोनाकाल में ग्राहकी का इंतजार ही करते रहते थे। कारीगरों के पास प्रतिदिन पैंतीस से चालीस ऑर्डर आने शुरू हो गए हैं। इसमें नाम पट्टिका और शिलान्यास तथा उद्घाटन समारोह के शिलापट्ट शामिल है।।
मंत्रियों के नामों के शिलापट्ट ज्यादा
कोरोना संक्रमण कमजोर होने के बाद उद्घाटनों तथा शिलान्यासों की संख्या भी बढऩे लगी है। शिल्पकार सलाउ²ीन खिलजी ने बताया कि इस समय ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला तथा उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी के नाम के शिलापट्ट अधिक बन रहे हैं।
इन दो माह में इन नेताओं के १५-१५ शिलापट्ट बनाए जा चुके हैं। जबकि अन्य पार्टियों के नेताओं के कम बन रहे हैं।
हिंदी में सस्ती और अंग्रेजी की महंगी
अधिकांश हिंदी की नामपट्टिका और शिलापट्ट तैयार कराए जाते है। इसकी एक वजह हिंदी की नामपट्टिका सस्ते में तैयार होना भी है। जबकि अंग्रेजी की नामपट्टिका और शिलापट्ट महंगा पड़ता है।
अंग्रेजी शब्दों को कम्प्यटूर से तैयार करने पड़ते है। जबकि हिंदी वाले शब्द छैनी-हथौड़ी से उकेरे जाते है। नाम पट्टिका ३०० से ५०० रुपए तथा शिलापट्ट दो से सात हजार रुपए में तैयार होते है। दर साइज पर भी निर्भर करती है।
अधिकांश हिंदी की नामपट्टिका और शिलापट्ट तैयार कराए जाते है। इसकी एक वजह हिंदी की नामपट्टिका सस्ते में तैयार होना भी है। जबकि अंग्रेजी की नामपट्टिका और शिलापट्ट महंगा पड़ता है।
अंग्रेजी शब्दों को कम्प्यटूर से तैयार करने पड़ते है। जबकि हिंदी वाले शब्द छैनी-हथौड़ी से उकेरे जाते है। नाम पट्टिका ३०० से ५०० रुपए तथा शिलापट्ट दो से सात हजार रुपए में तैयार होते है। दर साइज पर भी निर्भर करती है।