जिले में होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। होली के रंग हर उम्र पर जम कर चढ़े। बच्चों ने जहां दौड़ा-दौड़ा कर अपनी प्रेम भरी पिचकारी से बड़ों को भिगोया, तो वहीं युवा भला कहां पीछे रहने वाले थे। हालांकि उनकी होली में हुड़दंग का भी पुट शामिल रहा, लेकिन गनीमत रही की आमतौर पर कहीं से भी रंग में भंग पड़ने की खबर नहीं मिली। सभी वर्गों ने होली के उल्लास को खुल कर जीया। फिर क्या नेता हो और क्या जनता।
बीकानेर में होली के अवसर पर नत्थूसर गेट पर तणी तोडऩे की परंपरा निभाई गई। इसके तहत जोशी समाज के युवक ने पोल पर चढ़कर तणी को काटने की रस्म अदा की।
इतना ही नहीं, बीकानेर में इस मौके पर मौजूद विदेशी पावणे भी होली के चटख और सतरंगी वातावरण से खुद को दूर नहीं रख सके और सुबह होते ही वे भी होटलों के कमरों से निकल कर पहले तो आपस में ही खूब जोरदार होली खेली। उसके बाद देशी-विदेशी संस्कृति इस कदर मेल खाई कि कुछ ही देर बाद पता ही नहीं चला कि कौन देशी है और कौन विदेशी। पावणे भी होली के रंगों में इस कदर रंगे-पुते नजर आए कि भेद करना ही मुश्किल हो गया।पावणों ने जहां इस दौरान खुल कर रंग-गुलाल उड़ाए और पिचकारियों और बाल्टियों से रंगों की बौछार की, वहीं इस पूरे माहौल और अपने उल्लास को वे कैमरों में कैद करने से खुद को नहीं रोक पाए और सेल्फी के माध्यम से इन पलों को मोबाइल और कैमरों आदि में कैद कर लिया। इससे पहले शहर में होली परंपरागत ढंग से मनाई गई।