बीकानेर. सालों बाद पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा से लगातार एक सप्ताह से आ रही आंधी ने भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी परेशानी पैदा कर दी है। पाकिस्तान से सटी प्रदेश की 1037 किलोमीटर लम्बी सीमा पर सीमा सुरक्षा बल के जवानों को गर्द को चीरकर निगरानी और ताजा आई बालू रेत पर गश्त करने में भी मुश्किल हो रही है।
करीब 800 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा रेतीले धोरों के बीच से गुजरती है। आंधी से बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले में तारबंदी के पास रेत के टीले बन रहे हैं। तारबंदी के सामानांतर गश्त करने के लिए रेत को समतल कर बनाया रास्ते भी अवरुद्ध हो गए हैं। इससे जीप आदि वाहनों से गश्त करने में भी बीएसएफ को परेशानी हो रही है।
बीएसएफ सूत्रों के मुताबिक रेगिस्तान में तारबंदी और अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा पर रेत आने से हर साल परेशानी होती है, लेकिन लगातार कई दिनों तक आंधी कई साल बाद चली है। ज्यादा परेशानी पाकिस्तान की तरफ से आंधी आने से होती है। सीमा के दूसरी तरफ पूरा क्षेत्र वीरान और रेगिस्तान है। एसे में बालू रेत भी उड़कर आ जाती है। जहां भी कोई अवरोध आता है, रेत का टीला बन जाता है।
ट्रैक्टरों से हटा रहे रेत
बीकानेर से सटी 160 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा रेतीले धोरों के बीच है। लगातार आंधी से तारबंदी के आस-पास जमा हो रही रेत को बीएसएफ के जवान ऊंटों और ट्रैक्टर कराहा से हटा रहे हैं। रेतीले क्षेत्र वाले तीनों जिलों की प्रत्येक बटालियन को चार से पांच ट्रैक्टर उपलब्ध कराए गए हैं।
बीकानेर से सटी 160 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा रेतीले धोरों के बीच है। लगातार आंधी से तारबंदी के आस-पास जमा हो रही रेत को बीएसएफ के जवान ऊंटों और ट्रैक्टर कराहा से हटा रहे हैं। रेतीले क्षेत्र वाले तीनों जिलों की प्रत्येक बटालियन को चार से पांच ट्रैक्टर उपलब्ध कराए गए हैं।
चश्मों की मदद
आंधी के चलते चंद मीटर के फासले पर भी कुछ दिखाई नहीं देता। आंखों में मिट्टी आने से एक जगह पर ज्यादा देर तक देखना भी संभव नहीं होता। एेसे में जवानों को पर्याप्त संख्या में चश्मे उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्हें पहनकर गश्त करते हैं। साथ ही मुंह और सिर को स्कार्फ से ढंक लेते हैं।
आंधी के चलते चंद मीटर के फासले पर भी कुछ दिखाई नहीं देता। आंखों में मिट्टी आने से एक जगह पर ज्यादा देर तक देखना भी संभव नहीं होता। एेसे में जवानों को पर्याप्त संख्या में चश्मे उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्हें पहनकर गश्त करते हैं। साथ ही मुंह और सिर को स्कार्फ से ढंक लेते हैं।
आंधी से यह परेशानी
तारबंदी पर रोजाना सुबह खुरा चैकिंग पार्टी रेत पर देखती है कि कोई घुसपैठिया सीमापार से तो नहीं आया। आंधी से पदचिह्न मिट जाते हैं।खासकर पश्चिम दिशा से आंधी चलने पर पाकिस्तान सीमा की तरफ निगरानी करने में मुश्किल।सीमा क्षेत्र के मार्गों पर मिट्टी आने से सीमा चौकियों तक खाने-पीने की आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने में दिक्कत।विषम परिस्थितियों में सीमा पार से घुसपैठ की आशंका बढ़ जाती है। बॉर्डर पर आंधी से बीओपी को नुकसान होता है।तारबंदी के पास रेत के टीले बन जाने से घुसपैठियों को मदद मिलने की आशंका रहती है।
तारबंदी पर रोजाना सुबह खुरा चैकिंग पार्टी रेत पर देखती है कि कोई घुसपैठिया सीमापार से तो नहीं आया। आंधी से पदचिह्न मिट जाते हैं।खासकर पश्चिम दिशा से आंधी चलने पर पाकिस्तान सीमा की तरफ निगरानी करने में मुश्किल।सीमा क्षेत्र के मार्गों पर मिट्टी आने से सीमा चौकियों तक खाने-पीने की आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने में दिक्कत।विषम परिस्थितियों में सीमा पार से घुसपैठ की आशंका बढ़ जाती है। बॉर्डर पर आंधी से बीओपी को नुकसान होता है।तारबंदी के पास रेत के टीले बन जाने से घुसपैठियों को मदद मिलने की आशंका रहती है।
बीएसएफ मुस्तैद आंधी आए या तूफान, बीएसएफ हर परिस्थिति में मुस्तैद और उससे निपटने में सक्षम है। कई सालों बाद इस बार लगातार इतनी तेज आंधी चल रही है। जवानों के पास चश्मे हैं, मिट्टी हटाने के लिए ऊंट और ट्रैक्टर हैं। उनका उपयोग कर रहे हैं। खुरा चैकिंग में ज्यादा सावधानी बरती जा रही है और गश्त भी बढ़ा दी गई है।
-एमएस राठौड़, डीआइजी (सामान्य), बीएसएफ राजस्थान
-एमएस राठौड़, डीआइजी (सामान्य), बीएसएफ राजस्थान