पूजन उत्सव के दौरान गणगौर प्रतिमाओं को घरों, मौहल्लों, चौकियों, पाटो पर विराजित कर पूजन किया गया। बालिकाओं व महिलाओं ने गणगौर प्रतिमाओं के समक्ष नृत्य प्रस्तुत किए। बारह गुवाड़ चौक में आलूजी की गणगौर प्रतिमाओं का मेेला दूसरे दिन भी भरा। पुरुषों की गायन मंडलियों की ओर से शहर में कई स्थानों पर गणगौर के पारम्परिक गीतों का गायन किया गया। रात तक गणगौर प्रतिमाओं को पानी पिलाने, खोळा भरने, धोती ओढ़ाने की रस्में चलती रही।
घर-घर में पूजा-अर्चना
बारहमासा गणगौर पूजन उत्सव की पूर्णाहुति पर बुधवार को घर-घर में बारहमासा गणगौर प्रतिमाओं का पूजन हुआ। बालिकाओं, युवतियों और महिलाओं ने सामूहिक रूप से गणगौर प्रतिमाओं को पानी पिलाने, भोग अर्पित करने तथा खोळा भरने की रस्म निभाई। प्रतिमाओं के आगे गीत-नृत्यों के आयोजन हुए। शाम को घरों के आगे, चौकियों, पाटो आदि पर गणगौर प्रतिमाओं को विराजित किया गया। देर रात तक पूजा-अर्चना का दौर चला। महिलाओं ने गणगौर प्रतिमाओं को धोती ओढ़ाने, सुहाग सामग्री अर्पित करने की रस्म निभाई। शहर में कई स्थानों पर चौक-चौराहो, मौहल्लों आदि में देर रात तक गणगौर पूजन उत्सव के आयोजन हुए।