scriptबीकानेर जिले में लगातार चल रही आंधी, बुआई किए खेतों में आंधी से उड़ गया बीज | bikaner mausam news | Patrika News

बीकानेर जिले में लगातार चल रही आंधी, बुआई किए खेतों में आंधी से उड़ गया बीज

locationबीकानेरPublished: Jul 14, 2019 04:43:48 pm

Submitted by:

Jitendra

bikaner news : पिछले छह-सात दिन से लगातार चल रही दक्षिण-पश्चिमी धूलभर आंधी ने बीकानेर शहर सहित जिले को बेहाल कर रखा है।

bikaner mausam news

बीकानेर जिले में लगातार चल रही आंधी, बुआई किए खेतों में आंधी से उड़ गया बीज

भैराराम तर्ड

बीकानेर. सुरनाणा. लोक गीतों में प्रचलित ‘पैश्ली पड़वा गाजै, दिन बहोतर बाजै उक्ति के अनुसार किसानों की स्थिति ‘घाव में घोबा जैसी होने लगी, नागौरण हवा ने उड़ाई किसानों नींद, धूलभरी आंधी से खेत खाली, बरसात नहीं होने पर ‘फर्र-फर्र बाजै बायरो, उड़ै सोनाली रेत, जद अठै बरसती बादळी, त्यौं हरा होता खेतÓ के अनुसार किसान की चिंता साफ झलक रही है।

पिछले छह-सात दिन से लगातार चल रही दक्षिण-पश्चिमी धूलभर आंधी ने बीकानेर शहर सहित जिले को बेहाल कर रखा है। बीकानेर शहर में पिछले चार दिन से आकाश में गर्द छाई हुई है। रविवार को भी दिन भी धूल बरसने से हाल-बेहाल रहा। गांवों में बारानी, कुआं और नहरी क्षेत्र के किसानों की नींद उड़ा रखी है।
कई दिन पहले कई जगहों पर अच्छी बारिश हुई तो अधिकतर किसानों ने अपने खेतों में बुआई कर दी। लेकिन बुआई किए गए खेतों में बीज आंधी के साथ उड़ चुका है और खेत एकदम खाली नजर आ रहे है। ऐसे में किसानों का दर्द गाहे-बगाहे गांव-गुवाड़ की हथाई में उनके चेहरे पर साफ झलक रहा है।खेत में मायूस किसान अब बारिश की उम्मीद में ‘आंख न भाए रेत अब, खेत उड़ाए खेह… देह धरा की दाझती… मेघा दे दे मेह.. की अरदास करता दिखाई दे रहा है।
नागौरण हवा ने बरसात पर रोक लगा रखी है। बारिश नहीं होने से किसानों की नींद उडऩे लगी है। वर्तमान मौसम को अगर देखा जाए तो पारंपरिक लोकोक्ति ‘हे नागौरण, नाडा तोड़ण, बळद मरावण तूं क्यूं चाली आधै सावण एकदम सटीक बैठ रही है, लेकिन इस बार सावन के पहले ही चल पड़ी नागौरण (दक्षिण-पश्चिम) हवा से स्थिति और भी विकट होने लगी है। वहीं लोक गीतों में प्रचलित ‘पैश्ली पड़वा गाजै, दिन बहोतर (72) बाजै उक्ति के अनुसार तो किसानों की हालत ‘घाव में घोबा वाली दी है। बरसात नहीं होने पर ‘फर-फर बाजै बायरो, उड़ै सोनाली रेत, जद अठै बरसती बादळी, त्यौं हरा होता खेत के अनुसार किसान की चिंता साफ झलकती रही है।
खेत और रेत पर अपनी कलम चलाने वाले राजस्थानी के युवा कवि राजूराम बिजारणियां के अनुसार थार का किसान उम्मीदों पर जीता है। लेकिन लगातार चल रही नागौरण हवा ने इस बार किसानों की हालत जुए में हारने जैसी कर दी है। ऐसे में बारिश ही एक मात्र उम्मीद है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो