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कभी भैंसा गाड़े से होता था पूरा शहर साफ, अब करोड़ों रुपए की मशीनों से भी सफाई अधूरी

locationबीकानेरPublished: Sep 30, 2019 10:39:38 am

Submitted by:

Vimal

bikaner nagar nigam- शहर की साफ-सफाई के लिए नगर निगम के पास आज करोड़ों रुपए की मशीनें और उपकरण हैं। फिर भी सफाई व्यवस्था बदहाल है।

bikaner nagar nigam cleanliness system Special story

कभी भैंसा गाड़े से होता था पूरा शहर साफ, अब करोड़ों रुपए की मशीनों से भी सफाई अधूरी

बीकानेर. शहर की साफ-सफाई के लिए नगर निगम के पास आज करोड़ों रुपए की मशीनें और उपकरण हैं। फिर भी सफाई व्यवस्था बदहाल है। जगह-जगह लगे कचरे के ढेर और गंदगी से लोग परेशान है। ठीक इसके विपरीत करीब छह दशक पहले शहर में भैंसा गाड़े से कचरे का परिवहन होता था तब भी हालात एेसे नहीं थे। सीमित संसाधनों के बावजूद शहर को एक दम साफ-सुथरा रखा जाता था। सीमित सफाई कर्मचारियों और बिना किसी आधुनिक संसाधनों के शहर साफ रहने का मुख्य का कारण सफाई कार्मिकों की निष्ठा और व्यवस्था का कुशल प्रबंधन था।

पहले नगर पालिका व बाद में नगर परिषद शहर की सफाई के लिए भैंसा गाड़ों का ही उपयोग करता रहा। भैंसे को गाडे़ में जोतकर कचरे का परिवहन किया जाता था। वहीं कुछ भैंसों की पीठ पर बोरा लगाकर संकरी सड़कों व गलियों से कचरा संग्रहित किया जाता था। भैंसों को रखने के लिए अलग से स्थान व देखरेख के लिए कर्मचारी भी नियुक्त थे।

डम्पिंग यार्ड तक ले जाने की थी व्यवस्था
शहर में करीब ५६ वर्ष पहले भैंसा गाड़ा और भैंसें पर लटकाए बोरों में कचरा भरकर डम्पिंग यार्ड तक ले जाने की भी व्यवस्था थी। वरिष्ठ नागरिक नटवर लाल व्यास बताते है कि उस दौर में शहर की अधिकांश सड़कों पर मिट्टी थी। बहुत कम सड़कें पक्की थी। गली-मोहल्लों में नालियां जरूर बनी हुई थी। सुबह और शाम दोनों समय भैंसा गाड़ा के माध्यम से कचरा उठाया जाता था। नाली सफाई के लिए नगर परिषद के कर्मचारी आते थे।
अलग-अलग नियुक्त थे कर्मचारी
करीब 65 वर्ष पहले पालिका में काम करने वाले कर्मचारी नरसिंह दास आचार्य बताते है कि भैंसा गाड़ो से कचरे का परिवहन करने वाले कर्मचारी अलग और उनकी देखभाल करने वाले, चारा-पानी खिलाने वाले कर्मचारी अलग होते थे। भैंसा गाड़े से काम करने के बाद भैंसावाड़ा पहुंचने पर भैंसे और गाड़ा की देखभाल की उचित व्यवस्था थी।
55 रुपए में खरीदा था भैंसा
शहर के गली-मोहल्लों से कचरा उठवाने के लिए नगर परिषद में भैंसा गाड़े की व्यवस्था थी। नगर निगम के 57 साल पुराने दस्तावेजों से जानकारी मिलती है, कि उस दौर में कचरा उठाने के लिए नगर परिषद भैंसे की खरीद करता था। एक दस्तावेज के अनुसार वर्ष 1963-64 में एक भैंसे को 55 रुपए में खरीदा गया। दस्तावेजों के अनुसार भैंसो के लिए ग्वार और तूड़ी (चारे) की खरीद की जाती थी। इसके प्रमाण मिलते है।
… और पड़ गया भैंसाबाड़ा नाम
नगर पालिका व परिषद के समय जिस स्थान पर भैंसे रखे जाते थे तथा गाडे खडे़ किए जाते थे, वे स्थान भैंसाबाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गए। पुराने लोग आज भी इस स्थान को भैंसाबाडा के नाम से बोलते और बताते है। हालांकि आज इस स्थान पर एक भी भैंसा नहीं है। आज यह स्थान नगर निगम का भण्डार गृह है। यहां साफ सफाई के लिए करोडों रुपए की मशीनें, उपकरण, ऑटो टिप्पर, ट्रैक्टर ट्रॉलिया, जेसीबी, डम्पर सहित निगम की गाडि़यां खड़ी रहती हैं।
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