बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे भीम पांडिया ने अपनी ओजस्वी कविताओं से आमजन की पीड़ा, समस्याओं और राजनीति में आई कमी पर निशाने साधे। अपने चुनावी घोषणा पत्र पर कविताएं प्रकाशित कराई थी। उनके पुत्र राजू पांडिया ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान जिस गली-मोहल्ले में भीम पांडिया पहुंचते, लोगों की भीड़ वहां जमा हो
जाती। बिना माइक, स्टेज के वे अपनी कविताओं का वाचन शुरू कर देते। वे अपने अनूठे प्रचार के कारण आज भी लोगों के दिल में बसते हैं। दशकों पहले लिखी गई उनकी कविताएं भी लोगों को
याद हैं।
बीकानेर क्षेत्र से तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे पेन्टर विष्णु व्यास के चित्र और कार्टून
सालों बाद भी लोगों में पहचान बनाए हुए हैं। रैलियों, सभाओं से दूर कार्टून के माध्यम से अपनी बात रखना विष्णु व्यास की विशिष्ट शैली रही। वे १९८०, १९८९, १९९१ के लोकसभा चुनाव लड़े। एक चित्रकार होने के कारण विष्णु व्यास ने आमजन की पीड़ा, समस्याओं व राजनीति में आई गिरावट को अपने कार्टूनों का विषय बनाया और यही शैली उनके चुनाव प्रचार में कायम रही। व्यास के साथी रहे नरसिंह दास व्यास लखवत बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दिनों में रोजाना कार्टून बनाना और शहर के प्रमुख स्थानों, गली-मोहल्लों व चौक-चौराहों पर लगाना ही उनका प्रचार का माध्यम रहा।