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पीबीएम में फ्री, निजी अस्पताल में इलाज का खर्च लाखों में

locationबीकानेरPublished: Apr 24, 2021 08:49:28 pm

Submitted by:

Jai Prakash Gahlot

पांच से सात दिन का पैकेज ६५ से ७० हजार१० से १३ दिन का पैकेज १२५ से १५० तक

पीबीएम में फ्री, निजी अस्पताल में इलाज का खर्च लाखों में

पीबीएम में फ्री, निजी अस्पताल में इलाज का खर्च लाखों में

बीकानेर। कोरोना ने लोगों की हालत खराब कर रही है। कोरोना के मर्ज का इलाज निजी अस्पताल में आमजन के लिए कराना बेहद मुश्किल है। सरकारी अस्पताल में इलाज बिल्कुल फ्री है जबकि निजी अस्पताल में खर्च हजारों में हो रहा है। कोरोना मरीज का कम से कम पांच दिनों का इलाज खर्च ६० से ७० हजार रुपए पड़ रहा है। इतना ही नहीं अगर इलाज में पांच से अधिक दिन का समय लगता है तो खर्च भी बढ़ता जाता है। गरीब लोगों का निजी अस्पताल में इलाज कराना एक दिवासवप्पन जैसा हैं।
पीबीएम अस्पताल में मरीज के भर्ती होने से डिस्चार्ज करने तक सब कुछ फ्री है। रजिस्ट्रेशन, वार्ड, बैड, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन, दवा व जांचें किसी का शुल्क नहीं लिया जाता है। वरिष्ठ व अनुभवी चिकित्सकों की सेवाएं मिलती है। नर्सिंग स्टाफ, सुरक्षाकर्मी, सफाईकर्मी भी मरीजों की सेवा में मौजूद रहते हैं।
निजी अस्पतालों पर कोई मॉनिटरिंग नहीं
सरकार व जिला प्रशासन जान बुझकर आंखें मूंद कर बैठा हुआ है। निजी अस्पताल में मरीज के चिकित्सक सलाह, कॉटेज, वार्ड, दवा, जांच तक का शुल्क लिया जा रहा है। मरीज की स्थिति गंभीर होने पर वेंटीलेटर, आईसीयू का खर्च भी अलग से वसूल करते हैं। निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों के खर्च को लेकर सरकार ने कुछ तय नहीं कर रखा है। नतीजन निजी अस्पताल अपनी मनमर्जी से वसूली करते हैं।
मजबूरी में जाते हैं निजी अस्पताल
एक मरीज के परिजन ने बताया कि इन दिनों कोविड चरम पर है। पीबीएम अस्पताल में बहुत बुरे हालात है। वरिष्ठ चिकित्सक वार्डों में कम आते हैं। मरीज के परिजनों से स्टाफ का व्यवहार ठीक नहीं रहता है। वहां जल्दी से सुनवाई नहीं करते। ऐसे में मजबूरन निजी अस्पताल में जाना पड़ता है। निजी अस्पताल में रुपए लगते हैं लेकिन अन्य परेशानियां नहीं होती।
खर्च तो लेना ही पड़ेगा
एक निजी अस्पताल के प्रबंधक ने बताया कि सरकारी अस्पताल में मरीजों का खर्च सरकार वहन करती है। वहां दवाएं आदि सब सरकार मुहैया कराती है। निजी अस्पतालों में सभी दवाएं बाजार से खरीद करनी पड़ती है। इतना ही नहीं कोरोना के लिए अतिरिक्त स्टाफ व संसाधनों की व्यवस्था करनी होती है। ऐसे में मरीज पर होने वाले खर्च को नहीं लेंगे तो निजी अस्पताल के खर्च कैसे निकलेगा।
यह है बाजार दर
बाजार में रेमडेसिविर २२००-५५०० रुपए में मिलता है। मिरोपीनाम ५००-१००० रुपए, टेजोबेक्टम ४५०-५०० में मिलता है। पीबीएम में कोरोना से संबंधित सभी जांचें जैसे सीबीसी, एलएफटी, आरएफटी, शूगर, सीआरपी, सिटी स्केन, एचआरसीटी आदि नि:शुल्क होती है।
निजी अस्पताल का खर्च
जांच रुपए
एलएफटी ५५० से ६००
आरएफटी १०० से १५०
सीआरपी ४०० से ५००
सीबीसी २०० से २२५
दवा का खर्च
रेमडेसिविर इंजेक्शन २१००
इंनोक्सरीन-०.६० ३१९०
इंजेक्शन डेक्सोना ५०
इंजेक्शन ऑनडेम १३०
इंजेक्शन एनबीजेड १०००
इंजेक्शन पीआईपीजेडओ-४.५ जीएम ४२००
कमरे का चार्ज ६५०० से १०००० प्रतिदिन

केस एक :- शहर की पॉश कॉलोनी निवासी परम बाबू (५७) साल कोरोना पॉजिटिव हुए। परिजनों ने शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां पांच दिन के पैकेज के ६९ हजार ६५८ रुपए का बिल मिला। डिस्चार्ज करते समय महज ३२५० रुपए छूट की गई। ऑनलाइन व चेक से पेमेंट का भुगतान नहीं लिया। चार दिन पहले ही डिस्चार्ज होकर घर लौटे हैं।
केस दो :- नागणेचेजी मंदिर क्षेत्र निवासी बाधुदेवी (६३) कोरोना पॉजिटिव होने पर परिजनों ने निजी अस्पताल में भर्ती कराया। करीब दस दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा। हालत में सुधार हुआ और अब घर भेज दिया है। यहां दस दिन का खर्च ८३ हजार ९१३ रुपए रहा। यहां भी परिजनों को ८० हजार रुपए जमा कराने पड़े। अस्पताल प्रबंधन ने तीन हजार ९१३ रुपए की छूट दी। पिछले सप्ताह डिस्चार्ज होकर घर गए हैं।
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