सवाल- आप कब से बीकानेर में हैं। जवाब- पांच साल की थी, तो बीकानेर आ गई। अब करीब तीस साल की हो गई हूं। गुरुजी रजनी बाई अग्रवाल का आशीर्वाद हमेशा रहा। गुरुजी की बदौलत ही आज बीकानेर किन्नर समाज की अध्यक्ष हूं।
सवाल-घर-परिवार से कोई संपर्क रहता है। जवाब- बीकानेर आई थी, तो छोटी थी। मां-बाप से बातचीत हो जाती थी। धीरे-धीरे इसी समाज में रम गई। अब तो बहुत ही कम बात होती है। हिसार में जन्म हुआ। परिवार में एक भाई और एक बहन हैं। दोनों शादीशुदा और अपनी जिंदगी में खुश हैं।
सवाल- समाज आज किन्नर समाज को किस नजरिये से देखता है? जवाब- किन्नर समाज की इज्जत बढ़ी है। लोग स्वयं घर पर बुलाकर बधाई देते हैं। बधाई के लिए किसी पर दबाव नहीं डाला जाता। थोड़ी बहुत जिद भी मान लीजिए परंपरा का ही हिस्सा है।
सवाल-समाज सेवा की सोच कब पैदा हुई और अब तक क्या किया? जवाब- गुरू जी को देखते हुए ही यह सोच पैदा हुई। उन्हीं के सपने को साकार करते हुए किन्नर समाज ने हाल ही दो बच्चियों की शादी कराई है। पांच बच्चों की स्कूली पढ़ाई का खर्चा उठा रहे हैं। एक बच्ची को गोद लिया है। उसका सारा खर्चा किन्नर समाज उठा रहा है।
सवाल-किसी के घर लड़का होने पर ही बधाई लेते हैं या...? जवाब-नहीं-नहीं। ऐसी बात नहीं है। जिस घर में पहली लड़की होती है, तो वहां पर भी खुशी-खुशी बधाई देते हैं। घर में लक्ष्मी आने पर सभी को खुशी होती है।
सवाल- किसी किन्नर के निधन पर उसके अंतिम संस्कार को लेकर बहुत सी भ्रांतियां हैं। आपका क्या कहना है? जवाब-किन्नर का निधन होने पर आम आदमी की तरह ही अंतिम संस्कार किया जाता है। अगर कोई हिंदू किन्नर हो, तो उसका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से और अगर कोई मुुस्लिम किन्नर है, तो उसका अंतिम संस्कार मुुस्लिम समाज की रीति-रिवाज से करते हैं।
सवाल-राजनीति में आने का विचार है। जवाब-राजनीति में आने का कोई विचार नहीं है। समाज सेवा के लिए जब भी आवश्यकता पड़ेगी। किन्नर समाज आगे रहेगा। समाज के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए राजनीति में आने की क्या जरूरत है।