अस्पताल का वर्षों पुराना भवन एकदम जर्जर होकर गिरने के कगार पर है। बारिश में बाजार का पानी अस्पताल परिसर में भर जाता है जो भवन को नुकसान पहुंचाता है। इससे अस्तपाल के कई कक्ष गिर भी चुके है। हालांकि अस्पताल की मरम्मत के लिए कई बार प्रस्ताव तो बना लेकिन धरातल मरम्मत कार्य आज तक नहीं हो पाया है।
अस्पताल में बरसाती पानी के साथ बहकर आई गंदगी जमा होने से भी परेशानी बढ़ रही है। यहां स्टाफ के नाम पर भी महज एक चिकित्सा प्रभारी व एक कम्पाउडर ही कार्यरत होने से पशुपालकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। दूसरी तरफ जैतपुर का वर्षों पुराना पशु चिकित्सालय भी अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।
असमान शाह रंगरेज ने बताया कि अस्पताल अधिकांश हिस्सा बरसात की भेंट चढ़ चुका है। यहां ना तो पर्याप्त स्टाफ है एवं ना ही संसाधन। ऐसे में पशुपालकों को बीमार पशुधन के उपचार के लिए मजबूरन झोला छाप चिकित्सकों व देशी नुस्खों का सहारा लेना पड़ता है। जैतपुर सरपंच ओमप्रकाश ओझा ने बताया कि अस्पताल की समय रहते विभाग ने सुध नहीं ली तो यह जल्द गिर जाएगा। सरपंच ने बताया कि मरम्मत के लिए पशुपालन विभाग द्वारा बनाए गए प्रस्ताव फाइलों में धूल फांक रहे है।