पीढ़ी दर पीढ़ी व्यवसाय
शहर में पारम्परिक रूप से बनने वाली मिठाइयों की कई एेसी दुकानें है, जिनका संचालन पीढ़ी दर पीढ़ी हो रहा है।
परिवार के सदस्य इस व्यवसाय में पीढि़यों से जुटे हुए हैं। बीके स्कूल के पास स्थित मिठाई दुकान के संचालक बालकिशन स्वामी के अनुसार करीब साठ साल से दुकान का संचालन चल रहा है। पहले केवल पंधारी के लड्डू ही बनते थे, वर्तमान में अब कई और मिठाइयां भी बनने लगी हैं। वहीं चायपट्टी स्थित मिठाई की दुकान और बड़ा बाजार स्थित सब्जी बाजार में स्थित मिठाइयों की दुकानें भी दशकों से संचालित हो रही है व पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के सदस्य इस व्यवसाय से जुड़े हुए है।
बुजुर्गों का मार्गदर्शन, युवाओं के हाथ कमान
शहर में विभिन्न स्थानों पर संचालित हो रही पारम्परिक मिठाई की दुकानों में अब आधुनिकता भी नजर आ रही है।
परिवार के बड़े बुजुर्गो के मार्गदर्शन में युवाओं ने इस व्यवसाय को अपने हाथों में लिया है। युवा व्यवसायियों ने इस व्यवसाय में कुछ नवाचार भी किए है, लेकिन पारम्परिक मिठाइयों के स्वाद और गुणवत्ता को बरकरार रखे हुए हैं। जिसके कारण शहरवासियों के मुंह में आज भी इन दुकानों में बन रही मिठाइयों की मिठास घुली हुई है।
पंधारी के लड्डू 340
मोतीपाक 340
गुलाबजामुन 320
काजू कतली 650
काजू कतली (केशर) 750
(भाव प्रति किलोग्राम)