एसीबी के अधिकारी इस प्रकरण में कई बार भण्डार के अधिकारियों को रिकॉर्ड उपलब्ध करवाने के लिए पत्र लिख चुका है। उल्लेखनीय है कि वर्ष २०१४ से २०१७ के बीच भण्डार ने करोड़ों रुपए की दवा पेंशनर्स के लिए खरीदी थी। दवाएं जेनेरिक ली जानी थी, लेकिन यहां के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते ब्रांडेड दवाएं खरीदी गई। एेसे में राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगी। भ्रष्टाचार के इस खेल में पीबीएम अस्पताल के एक चिकित्सक पर भी मिलीभगत के आरोप लगे हैं। चिकित्सक ने एक ही ब्रांड की दवाएं बार-बार लिखी और पेंशनर्स को जेनेरिक दवाओं के स्थान पर ब्रांडेड दवा लिखकर सरकारी नियमों को भी दरकिनार किया।
जांच में प्रमाणित
एसीबी के तत्कालीन एएसपी परबत सिंह ने भण्डार का आकस्मिक निरीक्षण किया था। उन्होंने पाया कि तत्कालीन महाप्रबंधक ने निविदा २७ नवम्बर, २०१४ को जारी कर जेनेरिक दवाइयों के टेंडर आमंत्रित किए। कुछ अधिकारियों व कार्मिकों की मिलीभगत से निविदादाताओं के अतिरिक्त अन्य फर्मों से ब्रांडेड दवाइयां ऊंची दरों पर खरीदकर बिल विभिन्न फर्मों से लिए गए।
एसीबी के तत्कालीन एएसपी परबत सिंह ने भण्डार का आकस्मिक निरीक्षण किया था। उन्होंने पाया कि तत्कालीन महाप्रबंधक ने निविदा २७ नवम्बर, २०१४ को जारी कर जेनेरिक दवाइयों के टेंडर आमंत्रित किए। कुछ अधिकारियों व कार्मिकों की मिलीभगत से निविदादाताओं के अतिरिक्त अन्य फर्मों से ब्रांडेड दवाइयां ऊंची दरों पर खरीदकर बिल विभिन्न फर्मों से लिए गए।
इन पर लगे आरोप
एसीबी में दर्ज एफआइआर के अनुसार तत्कालीन महाप्रबंधक मनमोहन सिंह, तत्कालीन स्टोरकीपर अनिल कुमार गुप्ता, विनोद गौड़, तत्कालीन मेडिकल सुपरवाइजर बजरंग महात्मा तथा कनिष्ठ लिपिक रामकुमार बिस्सा पर खरीद घोटालों के आरोप हैं।
एसीबी में दर्ज एफआइआर के अनुसार तत्कालीन महाप्रबंधक मनमोहन सिंह, तत्कालीन स्टोरकीपर अनिल कुमार गुप्ता, विनोद गौड़, तत्कालीन मेडिकल सुपरवाइजर बजरंग महात्मा तथा कनिष्ठ लिपिक रामकुमार बिस्सा पर खरीद घोटालों के आरोप हैं।
जल्द कार्रवाई होगी
भण्डार में दवा खरीद घोटालों से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं। पूरे दस्तावेज मिलने के बाद ही इस प्रकरण में कुछ कहा जा सकता है। दस्तावेज के लिए अधिकारियों को फिर पत्र लिखा है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
हरिसिंह, जांच अधिकारी, एसीबी बीकानेर
भण्डार में दवा खरीद घोटालों से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं। पूरे दस्तावेज मिलने के बाद ही इस प्रकरण में कुछ कहा जा सकता है। दस्तावेज के लिए अधिकारियों को फिर पत्र लिखा है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
हरिसिंह, जांच अधिकारी, एसीबी बीकानेर