केन्द्र निदेशक डाॅ.आर्तबन्धु साहू ने इस विशेष प्रशिक्षण के बारे में कहा कि एनआरसीसी द्वारा उष्ट्र कल्पन व्यवसाय से जुड़े पारंपरिक कुशल कारीगरों के माध्यम से लगभग 20 ऊँट पालकों एवं किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। तदुपरांत प्रशिक्षित प्रशिक्षणार्थी ट्रेनिंग के माध्यम से प्राप्त ज्ञान (कलाहुनर) को आगे बढ़ाते हुए इसे ऊँट पालकों को हस्तांतरित करेंगे। डाॅ.साहू ने स्पष्ट किया कि ऊँटों की बहुआयामी उपयोगिता एवं पर्यटन व्यवसाय के नए आयाम के स्वरूपों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र, उष्ट्र प्रजाति पर गहन अनुसंधान के साथ-साथ ऊँट पालकों को उष्ट्र व्यवसाय से जुड़े व्यावहारिक क्षेत्रों में भी पारंगत करना चाहता है ताकि उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित की जा सके। केन्द्र में आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ.आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक होंगे।