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अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी : रावण हत्थे पर गायन, सूफी गायन की भी प्रस्तुति

locationबीकानेरPublished: Sep 15, 2019 02:11:57 pm

Submitted by:

Jitendra

bikaner news : बीकानेर. सिजूरे कलेक्टिव सोसायटी की ओर से लालगढ पैलेस में तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन शनिवार रात संगीत संध्या का आयोजन हुआ।

bikaner news : International Seminar in Bikaner

अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी : रावण हत्थे पर गायन, सूफी गायन की भी प्रस्तुति

बीकानेर. सिजूरे कलेक्टिव सोसायटी की ओर से lalgrh palace लालगढ पैलेस में तीन दिवसीय International Seminar in Bikaner अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन शनिवार रात संगीत संध्या का आयोजन हुआ। संगोष्ठी की संयोजिका डॉ. दिव्या जोशी ने बताया कि संगीत संध्या में राजस्थान की प्राचीन पाबूजी की फड़ पर भोपा लूणाराम नायक एवं भोपी पुष्पा ने पारंपरिक अंदाज में रावण हत्थे पर गायन की कई प्रस्तुतियां दी। संगीत संध्या में बीकानेर के लोक सूफी गायक भंवर अली ने अपने चिर परिचित अंदाज में मेहमानों का स्वागत ‘केसरिया बालम पधारो नी म्हारे देशÓ गाकर किया। अली की धन म्हारा शहर बीकाणा प्रस्तुति को भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया।
शुरूआत क्रिएटिव पैनल से हुई
संगोष्ठी के दूसरे दिन की शुरुआत सिजुरे क्रिएटिव पैनल से हुई। इसमें पॉयट्री कॉलेज के संस्थापक अनिश व्यवहारे, फाउण्डर ऑफ पॉयट्री लॉकल रमणिक सिंह, फाउण्डर ऑफ कविता कैफे संकेत म्हात्रे, लेखिका रॉशेल पोटकर तथा उस्ता कलाकार जावेद हसन उस्ता आदि शामिल हुए। उन्होंने शहरी नियोजन और वास्तुकला से सम्बंधित समकालीन मुद्दों पर चर्चा की, जिसका विषय डिसटोपियन आर्काइव्स था। पैनल के बाद प्रो. सिन्थिया फ्रेन्कलिन तथा हवाई यूनिवर्सिटी के एस. शंकर ने स्काइप के माध्यम से वार्ता प्रस्तुत की। प्रो. सिन्थिया ने अनुवाद की शाब्दिक एवं सांस्कृतिक अर्थों में समीक्षा की। प्रो. सुब्रह्मण्यम शंकर ने अनुवाद एक उपागम और अनुवाद की संस्कृति विषय पर चर्चा की।
उपन्यास पर चर्चा
जाने-माने लेखक साकेत मजूमदार और प्रो. जीजेवी प्रसाद के बीच मजूमदार के बहुचर्चित उपन्यास द सेंट ऑफ गॉड को लेकर चर्चा हुई। यह उपन्यास एक हिन्दू धार्मिक संस्था द्वारा संचालित विद्यालय के भीतर की तस्वीर प्रस्तुत करता है। तकनीकी सत्रों के समानान्तर फड़ वर्कशॉप का आयोजन किया गया। तीन तकनीकी सत्रों में बीस शोधार्थियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। प्रो. थार्केश्वर वीबीए ने अनुवाद एवं जेन्डर के सिद्धान्त के ऐतिहासिक आधारों की चर्चा की।
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