scriptराजनीतिक गठजोड़ से कानून-कायदों को खोखला कर रहा खनन माफिया | bikaner news Mining news 10101 | Patrika News

राजनीतिक गठजोड़ से कानून-कायदों को खोखला कर रहा खनन माफिया

locationबीकानेरPublished: May 26, 2022 07:07:57 pm

Submitted by:

Harendra

जिले में नेताओं और खनन माफिया में गठजोड़ के चलते जिप्सम समेत कीमती खनिजों का अवैध खनन बदस्तूर जारी है। सरकारी मशीनरी भी महज खानापूर्ति कर रही है।

फाइल फोटो

फाइल फोटो

-हरेन्द्रसिंह बगवाड़ा

राजनीतिक गठबंधन होने से खनन माफिया अब कानून की जड़े खोदने में लगा हुआ है। हालत यह है कि राज्य की खनन नीतियां खनन ठेकेदारों के इशारे पर बन रही हैं। जिप्सम को अन्य खनिजों की गाइडलाइन से अलग रखे जाने, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में जिप्सम की शार्ट टर्म माइनिंग के पट्टे नहीं दिए जाने समेत अनेक ऐसे मसले हैं, जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि इन दिनों खनन माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस गड़बड़झाले को भांप कर पिछले दिनों अपने बीकानेर दौरे के समय अधिकारियों को अवैध खनन पर नकेल कसने के निर्देश दिए थे। परन्तु अधिकारियों ने बजाय खनन माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने के केवल ओवर लोङ्क्षडग रोकने तक सीमित कर लिया।

 


बीकानेर जिले के तीन में से दो मंत्री, कई पूर्व और वर्तमान विधायक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से माइनिंग से जुड़े हुए हैं। इन्हीं की शह पर खनन माफिया ने इस पूरे क्षेत्र को अपनी जद में ले रखा है। बीकानेर में निकलने वाली जिप्सम की गुणवत्ता बेहतर है। यहां जिप्सम की खानें श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों की तुलना में कई गुणा अधिक हैं, लेकिन राजस्व के मामले में श्रीगंगानगर 17 करोड़, हनुमानगढ़ 12.50 करोड़ रुपए के साथ पहले और दूसरे नम्बर पर है। जबकि बीकानेर महज आठ करोड का राजस्व दे रहा है। इस पर भी तुर्रा यह कि सरकार बीकानेर की जांच करने के बजाय श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलो की जांच कर रही है। जांच की आड़ में इन दोनों जिलों में खनन के नए पट्टे जारी नहीं किए जा रहे। ऐसे में बीकानेर का ठेकेदार चांदी कूट रहा है। श्रीगंगानगर के तकरीबन सभी विधायक बाकायदा लिखित में जिप्सम के एसटीपी पट्टे दिए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन खनन विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।


निदेशालय खान एवं भूविज्ञान विभाग ने 22 अप्रेल 2022 को एक आदेश जारी कर राज्य में निकलने वाले खनिजों के नियंत्रण के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं, लेकिन इस गाइड लाइन में जिप्सम को अलग रखा गया है। इस आदेश के जारी होने के बाद खनन के जानकार कई सवाल खड़े कर रहे हैं। सबसे बड़ा अंदेशा इस बात का है कि यदि जिप्सम को इस गाइडलाइन से मुक्त रखा गया तो जिप्सम रॉयल्टी का ठेकेदार अगले कई वर्षों तक के लिए जिप्सम का भंण्डारण कर लेगा। ऐसे में नया ठेका लेने में रुचि कौन दिखाएगा?


अप्रेल में जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीकानेर दौरे पर आए तो कई लोगों ने शिकायतें की। जिस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की बैठक लेकर खनन मे चल रही गड़बडिय़ों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। लेकिन अधिकारियों ने ओवरलोडिंग रोकने तक खुद को सीमित कर लिया।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो