पीबीएम अस्पताल में पहली मंजिल पर कई वार्ड हैं, लेकिन दवा वितरण केन्द्र एक भी नहीं है। वार्डों में भर्ती मरीजों के परिजनों को दवा लेने के लिए २२ नंबर, २४ नंबर एवं चार नंबर पर आना पड़ता है। पहले ऊपरी वार्डों के लिए दवा वितरण केन्द्र खोले हुए थे, लेकिन इन्हें बंद कर दिया गया हैं। रात के समय दवा लाने में सर्वाधिक परेशानी होती है।
पीबीएम में ३६ दवा वितरण केन्द्र हैं। इनमें से वर्तमान में केवल २५ ही चालू हैं, नौ दवा केन्द्रों को बंद कर दिया गया है। बच्चा व मर्दाना अस्पताल में दो-दो, ईएनटी, हार्ट हॉस्पिटल, टीबी, कैंसर एवं जनाना में एक-एक दवा केन्द्र बंद है।
मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना प्रभारी डॉ. दिलीप सियाग बताते हैं कि पीबीएम में ७४ फार्मासिस्ट के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में ४८ ही कार्यरत हैं। संविदा पर दस फार्मासिस्ट हैं। वितरण केन्द्रों पर एक भी हेल्पर नहीं है। एमएनडीवाई के पांच फार्मासिस्टों को केन्द्र की योजना में लगा रखा है, जिससे काम प्रभावित हो रहा है। आठ फार्मासिस्ट अवकाश पर हैं। मजबूरन कई डीडीसी को बंद करना पड़ रहा है।
यह है नियम
नियमानुसार एक दवा वितरण केन्द्र पर १५० से २०० मरीजों का भार होना चाहिए। इससे अधिक मरीज होने पर अन्य डीडीसी खोला जाना चाहिए, जबकि पीबीएम में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां प्रत्येक डीडीसी पर ३५० से अधिक पर्चियां हैं। हेल्पर नहीं है, जिससे दवा लेने वालों की कतारें लगती हैं। दवा होते हुए भी मरीजों को पूरी नहीं मिल रही। मैन पावर की कमी से डीडीसी पर ड्रग वेयर हाउस से दवाइयां पहुुंच ही नहीं पाती।
ओपीडी : ८५००
प्रतिदिन भर्ती मरीज : १५०-२००
बिस्तर : २२००
जनाना-मर्दाना में वार्ड : २५
कैंसर अस्पताल में वार्ड : ५
टीबी अस्पताल में वार्ड : ५
हार्ट हॉस्पिटल में वार्ड : ४
डायबिटिक में वार्ड : २
ईएनटी में वार्ड : ३
लेबर रूम : १
आईसीयू : १२
नर्सिंग स्टाफ : ११७०
रेजीडेंट चिकित्सक : ३५०
सी. रेजीडेंट चिकित्सक : ४०
वरिष्ठ चिकित्सक : २००
ऑपरेशन थियेटर : ८
माइनर ऑप. थियेटर : ३
दवाओं की स्थिति
सूची में कुल दवाइयां : ८३२
उपलब्ध : ६०८
सर्जिकल : १४७
सूचर : ७७
जांच में दवाइयां : ४०