जिले में इस माह एक सप्ताह में एक हजार हैक्टेयर में सरसों और 500 हैक्टेयर में चने की बुआई की जा चुकी है। फिलहाल नहरी क्षेत्र में अधिक बुआई हो रही है। मार्च में चना और सरसों की फसल तैयार हो जाएगी। इन दिनों लूणकरनसर, खाजूवाला, छत्तरगढ़, पूगल क्षेत्र में बुआई की जा रही है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों तापमान में गिरावट आने, ग्वार की फसल खराब होने से इस बार काश्तकारों ने बुआई जल्दी शुरू की है।
यह लक्ष्य निर्धारित
रबी की फसल के लिए कृषि विभाग ने बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बार चने की बुआई के लिए 2 लाख 60 हजार हैक्टेयर, सरसों के लिए 85 हजार हैक्टेयर, गेहूं के लिए 1 लाख 20 हजार हैक्टेयर और जौ के लिए साढ़े 4 हजार हैक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा गया है।
बीजों का वितरण शुरू
बुआई के लिए बीजों का वितरण शुरू हो गया है। रबी के लिए इस बार 12 हजार क्विंटल चना बीज का आवंटन हुआ है। इसमें जीएनजी 1958 किस्म पर 3500 रुपए प्रति क्विंटल का अनुदान दिया जाएगा। इसी प्रकार जीएनजी 1581 पर 2500 रुपए प्रति क्विंटल अनुदान है। दोनों किस्मों की राज्य सरकार ने 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल दर रखी है। जिले में राजस्थान बीज निगम, राष्ट्रीय बीज निगम, तिलम संघ, एचआइएल, आइआइएफडी की ओर से उत्पादित बीज का आवंटन हुआ है। जिले की17 सहकारी समितियों में बीज मुहैया कराए गए है।
बीज कृषि की अहम इकाई
बीकानेर. कृषि महाविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन विषयक सात दिवसीय प्रशिक्षण का समापन सोमवार को हुआ। इस मौके पर आईएबीएम निदेशक प्रो.एन.के.शर्मा ने कहा कि बीज, कृषि की महत्वपूर्ण इकाई है। गुणवत्तापूर्ण बीज होने से उत्पादन में 8 से 25 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य में गुणवत्तायुक्त बीजों की भूमिका रहेगी। समन्वयक प्रो.एके शर्मा ने बताया कि सात दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान 35 विषयक विशेषज्ञों के व्याख्यान हुए। इसमें कुल 50 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
सोसायटियों के माध्यम से वितरण
रबी की बुआई शुरू हो गई है। अभी सरसों व चने की बुआई चल रही है। इसका लक्ष्य भी निर्धारित किया जा चुका है। साथ ही बीजों का वितरण किया जा रहा है। यह कार्य सोसायटियों के माध्यम से हो रहा है।
जगदीश पूनिया, उप निदेशक, कृषि विस्तार केन्द्र