प्रतियोगी परीक्षाओं के केन्द्र बनाने पर ऐसे स्कूलों को विद्यार्थी ढूंढते के लिए भटकते रहते है। अभ्यर्थी परीक्षा प्रवेश-पत्र पर लिखे पुराना पते पर पहुंच जाते है। वहां से नए पते पर पहुंचने के लिए दौड़-धूप करते है। ऐसे में कई बार विद्यार्थी परीक्षा देने समय पर भी नहीं पहुंच पाते। अधिकारियों को भी निरीक्षण के लिए भी स्कूलों को ढूंढऩे में परेशानी होती है।
व्यवस्था है, अपनाते नहीं सरकारी स्कूल का पता बदलने की व्यवस्था है, लेकिन इसे कोई अपनाता नहीं है। संस्था प्रधान को साक्ष्य सहित शिक्षा अधिकारी को प्रस्ताव भेजने होते हैं। इसके बाद सरकारी रिकॉर्ड में पुराने की जगह नया पता दर्ज होता है। इसकी सूचना राज्य सरकार को भेजने के साथ ही कोषागार कार्यालय को देनी होती है। इससे स्कूल के बिल आदि पास करते समय कोई परेशानी नहीं हो। जिला प्रशासन, निर्वाचन विभाग सहित सभी संबंधित विभागों को सूचना देनी होती है।
स्वीकृति जारी करनी चाहिए
सरकार को शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों के स्थान बदलने पर आवश्यक रेकॉर्ड में परिवर्तन करने की स्वीकृति जारी करनी चाहिए। स्कूल के नाम के साथ वास्तविक पता दर्ज होगा, तो परेशानियों का समाधान हो जाएगा।ओम आचार्य, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील
सरकारी स्कूल का स्थान परिवर्तन होने पर प्रधानाचार्य अपनी मर्जी से मुहर आदि में परिवर्तन नहीं कर सकते। विभाग अनुमति नहीं देता तब तक ट्रेजरी बिल पास नहीं करती। ऐसे में मजबूरी में पुराने पते का उपयोग करना पड़ता है।
यशपाल आचार्य, सेनि प्रधानाचार्य, राउमावि कोलायत
जब किसी सरकारी स्कूल का स्थान परिवर्तन होता है तो उसके साथ ही शाला दर्पण पोर्टल, आइएफएमएसए व बजट आवंटन भी नए पते के अनुसार किए जाए, जिससे वास्तविक पता चलन में आ जाए।
मोहम्मद आरिफ, जिलाध्यक्ष, शिक्षक कांग्रेस, शिक्षा प्रकोष्ठ।