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निर्जला एकादशी की तैयारियां शुरू

locationबीकानेरPublished: May 26, 2020 06:57:00 pm

Submitted by:

Atul Acharya

निर्जला एकादशी की तैयारियां शुरू हो गई है। एकादशी २ जून को है। इसके लिए बाजारों में सिवइयां, ओळा, शर्बत, मटकी आदि की बिक्री शुरू हो गई है। चीनी से सिवइयां और ओळा बनाए जा रहे हैं।

निर्जला एकादशी की तैयारियां शुरू

निर्जला एकादशी की तैयारियां शुरू

बीकानेर. निर्जला एकादशी की तैयारियां शुरू हो गई है। एकादशी २ जून को है। इसके लिए बाजारों में सिवइयां, ओळा, शर्बत, मटकी आदि की बिक्री शुरू हो गई है। चीनी से सिवइयां और ओळा बनाए जा रहे हैं। निर्जला एकादशी पर इनके दान-पुण्य का विशेष महत्व है। वहीं घरों में भी निर्जला एकादशी को लेकर तैयारियां चल रही है। गली-मोहल्लों से मुख्य बाजारों तक की दुकानों में निर्जला एकादशी व्रत और दान पुण्य के लिए विभिन्न प्रकार के सामान सिंघाड़ा आटा, आलू से तैयार विभिन्न प्रकार के चिप्स, साबुदाना से बने खिचिया, साबुदाना, राजगीरा आटा इत्यादि की बिक्री हो रही है। इस दिन जल दान के विशेष महत्व के कारण लोग मिट्टी से बनी मटकियां खरीद रहे हैं। साथ ही पंखी, कपड़े की पोटली में आम, चीनी, ओळा, सिवइयां, नकद राशि डालकर दान करने की परम्परा है। दो जून को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। इसके लिए घरों में भी महिलाएं साबुदाना से खिचियां तैयार करने में जुटी हुई है।
तैयार हुए विभिन्न प्रकार के शर्बत
एकादशी पर विभिन्न प्रकार के शर्बत की बड़ी मात्रा में खपत को देखते हुए बाजार में गुलाब, खस, केशर, बेला, ऑरेंज, लीची, पाइनेपल आदि स्वाद के शर्बत उपलब्ध है। इनमें कंपनियों सहित स्थानीय स्तर पर भी तैयार शर्बत मिल रहे हैं। ६० रुपए से लेकर १२० रुपए तक प्रति बोतल के अनुसार शर्बत की बिक्री हो रही है। चीनी-ओळा व्यवसाय से जुड़े रविन्द्र जोशी बताते हैं कि इस बार चीनी से तैयार सिवइयां ६० से ८० रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर उपलब्ध है। वहीं चीनी से बने लड्डे ओळा ६० रुपए प्रति किलोग्राम और ठण्डाई युक्त ओळा २४० रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से उपलब्ध है।
दान-पुण्य का विशेष महत्व

शहर में निर्जला एकादशी पर दान-पुण्य का विशेष महत्व रहता है। कई श्रद्धालु निर्जल रहकर व्रत करते है। पशु-पक्षियों के लिए चारा, घास, गुड़, दाना, पानी आदि की व्यवस्थाएं की जाती है। इस दिन बहन-बेटियों, कुलगुरु, मंदिरों सहित जरुरतमंद लोगों को जल, मटकियां, आम, सिवइयां, ओळा, शर्बत, शीतल पेय पदार्थ, नीम्बू शिकंजी, गन्ना रस, आमरस, दही-दूध लस्सी, आईसक्रीम इत्यादि का दान-पुण्य करने की परंपरा है।
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