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बीकानेर : स्टेशन पर बिछड़े बेटे को पाने के लिए ‘प्रमाण’ के आगे बेबस मां

locationबीकानेरPublished: Aug 01, 2019 11:16:06 am

Submitted by:

Jai Prakash Gahlot

Proof From Mother Seeking To Get Separated Son : बीकानेर- अनाथालय से अपने बेटे को छुड़वाने के लिए इधर-उधर भटक रही एक मां; जीआरपी थाने ने बालक को भेजा था शिशु गृह में ;अधिकारियों पर सुनवाई नहीं करने का आरोप

Bikaner : Proof From Mother Seeking To Get Separated Son

बीकानेर : स्टेशन पर बिछड़े बेटे को पाने के लिए ‘प्रमाण’ के आगे बेबस मां

जयप्रकाश गहलोत

बीकानेर. कोख से जाये बेटे को अनाथालय से छुड़ाने के लिए एक मां दो दिनों से इधर-उधर भटक रही है। अनाथालय उससे बेटे को सुपुर्द करने के लिए प्रमाण मांग रहा हैं, जो उसके पास नहीं है। अपने लाल के लिए उसकी आंखों से बहती अश्रुधारा पर अनाथालय कार्मिक विश्वास नहीं कर रहे। रेलवे पुलिस इस बालक को स्टेशन से पकड़कर अनाथालय छोड़ आई थी, लेकिन अब बालक को उसकी मां से मिलाने में कोई मदद नहीं कर रहा।
खानाबदोश परिवार की सलमा पत्नी जाकिर खान वर्षों से कोयला गली स्थित भैंरूजी की चौकी के नजदीक रेलवे की दीवार के पास रह रही है। सलमा ने बताया कि शनिवार को वह अपने सात वर्षीय बेटे अरबाज के साथ नोखा जाने के लिए बीकानेर रेलवे स्टेशन पहुंची। वह ट्रेन के डिब्बे में बैठ गई, तब अरबाज चिप्स लाने ट्रेन से उतर गया। इस बीच ट्रेन चल पड़ी और अरबाज स्टेशन पर ही रह गया।
स्टेशन के पास ही उसका ठिकाना है, एेसे में सलमा ने सोचा बेटा वापस ठिकाने पर चला गया होगा। नोखा से लौटने पर बेटा नहीं मिला तो दो दिन तक तलाशती रही। उसे रेलवे स्टेशन और आसपास ठेले आदि लगाने वालों से पूछने पर पता चला कि दो दिन पहले जीआरपी एक बालक को स्टेशन से पकड़ कर ले गई थी। उसने जीआरपी थाने जाकर पूछा तो उन्होंने बालक को बाल शिशु गृह में भेजने की जानकारी दी।
Bikaner : Proof From Mother Seeking To Get Separated Son
दो दिन से गिड़गिड़ा रही
सलमा दो दिन से बाल शिशु गृह और जीआरपी अधिकारियों के चक्कर लगा रही है। अधिकारी उससे अरबाज के उसका बेटा होने का प्रमाण मांग रहे हैं, जबकि उसके पास कोई पहचान पत्र, राशन कार्ड या अन्य कोई प्रमाण नहीं है। सलमा ने बताया कि वह दो दिन से अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा रही है, लेकिन बेटे से मिलने तक नहीं दे रहे।
कचरा बीन कर गुजारा
सलमा अपने परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे रह रही है। वह दिनभर कचरा बीनती है,
जिससे अपना और बच्चों का पेट भरती है। गर्मी में पेड़ की छांव और बारिश में दुकानों के शेड व दीवार की ओट का सहारा लेते हैं। परिवार में किसी भी सदस्य का आधार कार्ड, वोटर आइडी कार्ड नहीं है। उनके पास कोई फोटो तक नहीं है।
कागजी प्रमाण नहीं तो क्या अरबाज मेरा नहीं
सलमा ने दो दिन से कुछ नहीं खाया। उसने रोते हुए बताया कि हमारे पास न आधार कार्ड है, ना कोई अन्य प्रमाण पत्र। मेरे बेटे को देना तो दूर उससे मिलने भी नहीं दे रहे। उसने भरी आंखों से कहा कि कागज का प्रमाण नहीं है तो क्या मेरा बेटा मुझे कभी नहीं मिलेगा। इसके बाद सलमा रोने लगी तो उसकी ननद साबीरा ने उसे संभाला।
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