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बीकानेर स्थापना दिवस: शहर में अब मस्सा वाली माताजी के नाम से प्रसिद्ध है स्थापना से 28 साल पहले का ये स्मारक, देखिये वीडियो

locationबीकानेरPublished: Apr 08, 2018 11:39:29 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

करणी माता के आशीर्वाद से राव बीका ने नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर के पास नगर की स्थापना की।

Bikaner Raising Day

बीकानेर स्थापना दिवस

बीकानेर . पन्द्रह सौ पैतालवें सुद बैशाख सुमेर! थावर बीज थरपियो, बीके बीकानेर!!
बीकानेर नगर की स्थापना राव बीका ने संवत् 1545 में की। नगर स्थापना के समय यह स्थान जांगल प्रदेश के नाम से प्रसिद्ध था। बताया जा रहा है कि जांगल प्रदेश में गोदारा जाटों का राज था। बाद में करणी माता के आशीर्वाद से राव बीका ने नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर के पास नगर की स्थापना की।
उसके बाद शहर का विस्तार एवं विकास शुरू हुआ। इसकी जानकारी जगह-जगह लगे शिलालेखों और स्मारकों से मिलती है। इनमें से एक है नत्थूसर गेट के बाहर सूरदासाणी पुरोहित बगीची स्थित पुरोहित सूरदास स्मारक, जो शहर का संभवतया सबसे पुराना और नगर स्थापना से पहले का है।
स्मारक में शिलालेख भी है, जिसमें संस्कृत भाषा में एेतिहासिक जानकारी दी गई है। ‘बीकानेर के शिलालेख एक ऐतिहासिक अध्ययनÓ पुस्तक के अनुसार यह स्मारक विक्रम संवत् 1517 का है, जो नगर स्थापना से भी 2८ वर्ष पहले का है। अब यह स्मारक ‘मस्सा वाली माताजीÓ के नाम से प्रसिद्ध है और लोगों की आस्था का केन्द्र है। इस स्मारक से क्षेत्र में नगर स्थापना से पहले भी लोगों के रहने की जानकारी मिलती है।
पुस्तक में दी है जानकारी
डॉ. राजेन्द्र कुमार व्यास की पुस्तक ‘बीकानेर के शिलालेखÓ में माताजी के मंदिर में लगे शिलालेख की जानकारीसंस्कृत भाषा में दी गई। उसका हिन्दी में भी रूपान्तरण किया हुआ है। शिलालेख पर विक्रम संवत 1517 आषाढ़ शुक्ल पंचमी बुधवार तिथि अंकित है। पत्थर की देवली पर एक घुड़सवार व उसके सामने हाथ जोड़े एक महिला की मूर्ति बनी है।
रोजाना आते हैं श्रद्धालु
शहर के अब तक के ज्ञात स्मारकों में यह स्मारक सबसे पुराना व मस्सा माताजी के रूप में प्रसिद्ध है। आमजन में यह मान्यता है कि यहां आने व मन्नत मांगने से शरीर के किसी भी अंग के मस्से झड़ जाते हैं। सूरदासाणी पुरोहित परिवार के सदस्य बीआर सूरदासाणी ने बताया कि यहां प्रतिदिन श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालु झाडू, नमक, कोयला मस्सा माताजी के समक्ष अर्पित करते हैं।
पत्थर पर खुदाई
सूरदासाणी बगीची परिसर स्थित इस स्मारक पर विक्रम संवत 1517 अंकित है। शिलालेख संस्कृत भाषा में पत्थर पर खुदाई कर अंकित किया हुआ है। शिलालेख पर अंकित जानकारी के अनुसार यह नगर स्थापना से 28 वर्ष पहले का है।
डॉ. राजेन्द्र कुमार व्यास, पुस्तक लेखक

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