अभिलेखागार विभाग के निदेशक के अनुसार राज्य अभिलेखागार में उपलब्ध ‘बीकानेर राज्य की सेन्शस रिपोट्र्सÓ में जानकारी मिलती है कि बीकानेर रियासत में वर्ष 1881 से 1941 के बीच 60 वर्षों में शहर की जनसंख्या में हर जनगणना में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 1881 में शहर की जनसंख्या 33,154 थी, वहीं वर्ष 1941 में हुई जनगणना में जनसंख्या 1 लाख 27 हजार 226 दर्ज की गई थी।
देश की आजादी के बाद वर्ष 1951 में हुई जनगणना में भी बीकानेर ग्रामीण के कई स्थानों पर पुरुषों से अधिक महिलाएं थी। अभिलेखागार विभाग के निदेशक डॉ. महेन्द्र खडग़ावत के अनुसार वर्ष 1951 में भीनासर, देशनोक, गंगाशहर तथा नोखा मण्डी में पुरुषों से महिलाओं की संख्या की जानकारी राज्य की सेन्शस रिपोट्र्स से मिलती है।
राज्य अभिलेखागार में उपलब्ध बीकानेर राज्य की सेन्शस रिपोट्र्स के अनुसार बीकानेर रियासत में हर दस साल बाद जनगणना होती थी। पहली और दूसरी जनगणना तक पुरुषों से अधिक महिलाओं की संख्या थी। वहीं वर्ष 1951 में हुई जनगणना में भी बीकानेर ग्रामीण के कई स्थानों पर भी महिलाओं की संख्या अधिक थी। वर्ष 1951 में शहर में दस वार्ड होने व वार्ड अनुसार पुरुषों तथा महिलाओं की जानकारी मिलती है।
डॉ. महेन्द्र खडग़ावत, निदेशक, राज्य अभिलेखागार बीकानेर
बीकानेर. ‘बोई काट्या है फेर उड़ाÓ तथा ‘गळी -गळी में, आयग्यो-आयग्योÓ के स्वरों से शहर गूंजना शुरू हो गया है। नगर स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में पतंगबाजी शुरू हो गई है। रविवार को अवकाश के दिन आकाश में पतंगें छाई रही। शहर में पतंग-मांझे की दुकानों पर बिक्री बढ़ गई है।
घरों में महिलाएं तैयारियों में जुटी हुई हैं। घर-परिवार की महिलाएं सामूहिक रूप से गेहूं, बाजरा, मूंग के खीचड़े को कूट कर तैयार कर रही हैं। वहीं बच्चे और युवा दो दिन होने वाली पतंगबाजी की तैयारियों में जुटे हैं। पतंगबाजी के दौरान टेन्ट, माइक, डीजे सहित खान-पान की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
बीकानेर ञ्च पत्रिका. राव बीकाजी संस्थान एवं जिला प्रशासन की ओर से रविवार को नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम में गोष्ठी हुई। भवानी शंकर व्यास ‘विनोदÓ ने कहा कि बीकानेर आदमी को आदमी होने की तमीज देता है। बदलाव के साथ भीतर की बीकानेरियत कभी समाप्त नहीं होनी चाहिए।