scriptबीकानेर स्थापना दिवस: सवा सौ साल पहले पुरुषों से अधिक थी महिलाएं | Bikaner Raising Day | Patrika News

बीकानेर स्थापना दिवस: सवा सौ साल पहले पुरुषों से अधिक थी महिलाएं

locationबीकानेरPublished: Apr 16, 2018 02:52:33 pm

Submitted by:

dinesh kumar swami

आज भले ही शहर में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक हो, लेकिन रियासतकाल में महिलाओं की संख्या अधिक रही है।

Bikaner Raising Day

बीकानेर स्थापना दिवस

विमल छंगाणी/बीकानेर. आज भले ही शहर में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक हो, लेकिन रियासतकाल में महिलाओं की संख्या अधिक रही है। बीकानेर रियासत में वर्ष 1881 में पहली और वर्ष 1891 में हुई शहर की दूसरी जनगणना में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक दर्ज की गई थी।
राज्य अभिलेखागार में उपलब्ध दस्तावेजों से उस दौर में हुई जनगणना तथा शहर की आबादी की जानकारी है। उस समय भी हर दस साल के बाद जनगणना होती थी। वर्ष 1881 की जनगणना में शहर की जनसंख्या 33,154 थी। इसमें 15,863 पुरुष व 17,291 महिलाएं थी।
पहली जनगणना में 1428 महिलाएं पुरुषों से अधिक थी। वहीं साल 1891 में हुई दूसरी जनगणना में शहर की जनसंख्या 50,513 दर्ज की गई। उसमें 25,534 महिलाएं व 24,979 पुरुष थे। इसमें 555 महिलाएं अधिक थी। दस्तावेजों के अनुसार दूसरी जनगणना के बाद रियासतकाल में हुई जनगणनाओं में महिलाओं की संख्या कम होती गई।
60 साल में 33 हजार से सवा लाख
अभिलेखागार विभाग के निदेशक के अनुसार राज्य अभिलेखागार में उपलब्ध ‘बीकानेर राज्य की सेन्शस रिपोट्र्सÓ में जानकारी मिलती है कि बीकानेर रियासत में वर्ष 1881 से 1941 के बीच 60 वर्षों में शहर की जनसंख्या में हर जनगणना में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 1881 में शहर की जनसंख्या 33,154 थी, वहीं वर्ष 1941 में हुई जनगणना में जनसंख्या 1 लाख 27 हजार 226 दर्ज की गई थी।
बीकानेर ग्रामीण में भी महिलाएं अधिक
देश की आजादी के बाद वर्ष 1951 में हुई जनगणना में भी बीकानेर ग्रामीण के कई स्थानों पर पुरुषों से अधिक महिलाएं थी। अभिलेखागार विभाग के निदेशक डॉ. महेन्द्र खडग़ावत के अनुसार वर्ष 1951 में भीनासर, देशनोक, गंगाशहर तथा नोखा मण्डी में पुरुषों से महिलाओं की संख्या की जानकारी राज्य की सेन्शस रिपोट्र्स से मिलती है।
हर दस साल बाद होती थी जनगणना
राज्य अभिलेखागार में उपलब्ध बीकानेर राज्य की सेन्शस रिपोट्र्स के अनुसार बीकानेर रियासत में हर दस साल बाद जनगणना होती थी। पहली और दूसरी जनगणना तक पुरुषों से अधिक महिलाओं की संख्या थी। वहीं वर्ष 1951 में हुई जनगणना में भी बीकानेर ग्रामीण के कई स्थानों पर भी महिलाओं की संख्या अधिक थी। वर्ष 1951 में शहर में दस वार्ड होने व वार्ड अनुसार पुरुषों तथा महिलाओं की जानकारी मिलती है।
डॉ. महेन्द्र खडग़ावत, निदेशक, राज्य अभिलेखागार बीकानेर
आकाश में पतंगें, बाजारों में रौनक, स्थापना दिवस की तैयारियां
बीकानेर. ‘बोई काट्या है फेर उड़ाÓ तथा ‘गळी -गळी में, आयग्यो-आयग्योÓ के स्वरों से शहर गूंजना शुरू हो गया है। नगर स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में पतंगबाजी शुरू हो गई है। रविवार को अवकाश के दिन आकाश में पतंगें छाई रही। शहर में पतंग-मांझे की दुकानों पर बिक्री बढ़ गई है।
विभिन्न स्थानों पर पतंग-मांझे की दुकानों पर देर रात तक खरीदारी चलती रहती। पानी की मटकियों, हांडी, लोटड़ी, ढकणी आदि मिट्टी के बर्तनों के खरीदारों की भीड़ रही। वहीं तैयार खीचड़ा, इमलाणी, मूंग, काली मिर्च, काचरी, इलायची, घी आदि खाद्य सामग्रियों की खरीद के लिए परचून की दुकानों पर लोग उमड़ते रहे। खरीदारी के कारण शहर के बाजारों में रौनक रही।
घरों में भी तैयारी
घरों में महिलाएं तैयारियों में जुटी हुई हैं। घर-परिवार की महिलाएं सामूहिक रूप से गेहूं, बाजरा, मूंग के खीचड़े को कूट कर तैयार कर रही हैं। वहीं बच्चे और युवा दो दिन होने वाली पतंगबाजी की तैयारियों में जुटे हैं। पतंगबाजी के दौरान टेन्ट, माइक, डीजे सहित खान-पान की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
‘… बीकानेरियत खत्म न हो’
बीकानेर ञ्च पत्रिका. राव बीकाजी संस्थान एवं जिला प्रशासन की ओर से रविवार को नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम में गोष्ठी हुई। भवानी शंकर व्यास ‘विनोदÓ ने कहा कि बीकानेर आदमी को आदमी होने की तमीज देता है। बदलाव के साथ भीतर की बीकानेरियत कभी समाप्त नहीं होनी चाहिए।
मुख्य अतिथि डॉ. उमाकांत गुप्त थे। कमल रंगा ने बताया कि गोष्ठी में विद्यासागर आचार्य, डॉ. विजय वि_ल बिस्सा, राजेंद्र जोशी, अशोक माथुर, एड.अजय कुमार, मकसूद अहमद, सुरेंद्रसिंह शेखावत, डॉ. मुरारी शर्मा, कासिम बीकानेरी, डॉ. रेणुका व्यास डॉ. पंकज जोशी, डॉ. अजय जोशी, मोनिका गौड़ ने विचार रखे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो