तेज हवा, बारिश आदि में घौंसले बिखर भी जाते है। चिडिय़ा के बच्चे गिर भी जाते है। मिट्टी से बने घर में चिडिय़ा और उसके बच्चे सुरक्षित रह सकेंगे। इसके लिए पोकरण मिट्टी से बने इन घरौंदों में बीकानेर की चिडिय़ा को रखने का अभियान शुरू किया गया है। इस कार्य में सुनील सोनी सहयोग कर रहे है। प्रथम चरण में करीब एक हजार मिट्टी से बने चिडिया के घर वितरित किए जा रहे है तथा लोगों को भी इस कार्य के लिए जागरूक किया जाएगा।
गुल्लक सा आकार, हवा की उचित सुविधा
पार्षद के अनुसार चिडिय़ा का घर जिसे ‘चिडिय़ा का महल’ नाम दिया गया है का आकार मिट्टी से बने गुल्लक की तरह है। इसमें एक तरफ चिडिय़ा के अंदर प्रवेश करने और निकलने का मार्ग है। हवा के लिए मिट्टी से बने घर में कई छेद है। इस मिट्टी से बने घर को पेड़ो पर टांगा जा सकता है। घरों की छतों पर भी लगाया जा सकता है। घरों की बालकॉनी, गैलेरी, पार्को, बगीचों, विद्युत पोल आदि पर भी लगाया जा सकता है। सहयोगी सुनील सोनी की मदद से चिडिय़ा के घर वितरित करने का कार्य चल रहा है। मंगलवार को मुरलीधर व्यास नगर क्षेत्र में चिडिय़ा के घर वितरित किए गए।