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भये प्रगट गोपाला परम दयाला, यशोमति के हितकारी…

locationबीकानेरPublished: Aug 20, 2022 07:52:02 am

Submitted by:

Vimal

श्री कृष्ण जन्माष्टमी – घरों व मंदिरों में मनाई जन्माष्टमी
कान्हा के जन्म पर जन्माष्टमी के रंगों से सराबोर रहे घर, बाजार और मंदिर
 

भये प्रगट गोपाला परम दयाला, यशोमति के हितकारी...

भये प्रगट गोपाला परम दयाला, यशोमति के हितकारी…

नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की, भये प्रगट गोपाला परम दयाला और हरि बिना म्होरी गोपाल बिना म्होरी सरीखे जयकारों, स्तुतिगान व आरती से शुक्रवार को घर-घर और कृष्ण मंदिर गुंजायमान रहे। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर शहर के श्री कृष्ण मंदिरों में अलसुबह से शुरु हुआ दर्शन, पूजन का क्रम मध्यरात्रि तक चलता रहा। घड़ी में रात के 12 बजते ही घरों, मंदिरों और गली-मौहल्लों में झालर की झंकार, घंटियों की टंकार और शंख ध्वनि के बीच भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई गई। कृष्ण के बाल स्वरुप लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक किया गया। पूजन, अर्चन के बाद आरती की गई। विविध पकवानों का भोग अर्पित किया गया। कृष्ण के जन्म के दौरान प्रतीकात्मक कंस का वध किया गया। श्रद्धालुओं ने दिन भर चले व्रत का पारणा कृष्ण जन्म के बाद किया।

मंदिरों में उमड़े दर्शनार्थी

जन्माष्टमी पर शहर के श्री कृष्ण मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ रही। मंदिरों में दिन भर दर्शन-पूजन व अभिषेक का क्रम चला। देर शाम से मध्यरात्रि तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में पहुंचे। कई मंदिरों में श्रद्धालुओं ने कतारों में लगकर भगवान श्री कृष्ण के दर्शन किए। मरुनायक चौक िस्थत मूलनानयक मंदिर, मदन मोहन मंदिर, दम्माणी चौक िस्थत बड़ा गोपाल मंदिर, छोटा गोपाल मंदिर, पुष्करणा स्कूल के पास गिर्राज मंदिर, दाऊजी मंदिर, रतन बिहारी मंदिर, रसिक शिरोमणि मंदिर, भीनासर मुरली मनोहर मंदिर, वैद्य मघाराम कॉलोनी िस्थत लक्ष्मीनाथ मंदिर, तेलीवाड़ा चौक रघुनाथ मंदिर, साले की होली िस्थत मुरली मनोहर मंदिर, देवी कुण्ड सागर िस्थत छह मंदिर व दस मंदिर परिसर िस्थत कृष्ण मंदिरों में श्रद्धालु दर्शन, पूजन के लिए पहुंचे।

घर-घर में कान्हा के जन्म की खुशियां, मनाई जन्माष्टमी

भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव घर-घर में मनाया गया। घरों में कान्हा के जन्म के समय खुशियां मनाई गई। बधाईयां बांटी गई। रात 12 बजे लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक, पूजन, श्रृंगार कर विविध पकवानों का भोग अर्पित किया गया। आरती में घर-परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। कान्हा के बाल स्वरुप लड्डू गोपाल को झूले में विराजित कर झूला झुलाया गया। कान्हा के जन्म की खुशियां थाली बजाकर मनाई गई। गली-मौहल्लों में कान्हा के जन्म की खुशी में प्रसाद का वितरण किया गया।

बाजारों में खरीदारी

जन्माष्टमी पर शहर के बाजार कान्हा के जन्म के रंगों से सराबोर रहे। कान्हा के बाल स्वरुप लड़डू गोपाल के वस्त्र, आभूषण व झूलों की दुकानों पर दिन भर खरीदारी का क्रम चला। झांकियां सजाने के लिए खिलौनों की दुकानों पर भीड़ रही। छोटे बच्चों को कृष्ण व राधा का स्वरुप प्रदान करने के लिए वस्त्र, मुकुट, बंशी, हार आदि की खरीदारी का भी दौर चलता रहा। मंदिरों व पूजा स्थलों का सजाने व पूजन के लिए विभिन्न प्रकार के पुष्पों व मालाओं की जमकर बिक्री हुई। पंचामृत के लिए दूध, दही की दुकानों पर भी भीड़ रही।

कंस का प्रतीकात्मक वध

जन्माष्टमी पर मिट्टी से बने कंस का मंदिरों से गली-मौहल्लों तक प्रतीकात्मक वध हुआ। कृष्ण जन्म के समय रात्रि 12 बजे बच्चों से बुजुर्गो तक ने भगवान श्री कृष्ण के जयकारों के बीच कंस का वध लकडि़यों से पीट कर किया। इससे पहले बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने मटक व माटा पर तालाब की मिट्टी से कंस की अनुकृति बनाई। काले व लाल रंग से सजाया गया। मरुनायक मंदिर व मदन गोपाल मंदिर में बड़े आकार के कंस बनाए गए।

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