बीकानेर. बॉलीवुड में कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, शंकर-जयकिशन, नदीम-श्रवण, जतिन-ललित जैसी दर्जनों संगीतकारों की जोडि़यों ने अपनी काबिलियत के दम पर देश-विदेश में नाम कमाया है। ठीक वैसे ही बीकानेर में भी दो भाइयों और पिता-पुत्र की जोडि़यों ने साझा व्यापार कर देश-विदेश में उपलब्धि हासिल की है। साथ ही संयुक्त परिवार में रहकर समन्वय और सौहार्द कायम किया है। यहां एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों एेसे भाई और पिता-पुत्र हैं, जिनकी जुगल-जोड़ी ने व्यापार जगत में धाक जमाई है और देश-विदेश में बीकानेर की ब्रांडिंग भी की है। बीकानेर में दर्जनों प्रतिष्ठान दो भाइयों और पिता-पुत्र के नाम से खुले हैं और पीढि़यों बाद भी उनके परिजनों ने उनके नाम और प्रतिष्ठा को बनाए रखा है। इस प्रकार की मिसाल शायद ही कहीं और मिले। टूटते परिवारों के दौर में नजीर स्थापित करने वाले इन लोगों से बात की तो कई रोचक तथ्य सामने आए। उन्होंने बीकानेर की संस्कृति, धर्म, पुरखों के दिए संस्कार और आपसी मेल-जोल के भाव कूट-कूट कर भरे हैं। उन्होंने अपने अनुभव कुछ इस तरह साझा किए-