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बीकानेर थियेटर फेस्टिवल: छह नाटकों के मंचन में ग्रामीण व जंगल के दृश्य समाहित

locationबीकानेरPublished: Mar 18, 2019 09:51:48 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

मंच पर साकार हुई विभिन्न प्रांतों की संस्कृति

Bikaner Theater Festival

बीकानेर थियेटर फेस्टिवल: छह नाटकों के मंचन में ग्रामीण व जंगल के दृश्य समाहित

बीकानेर. बीकानेर थियेटर फेस्टिवल के चौथे दिन रविवार को शहर के अलग-अलग ऑडिटोरियम में छह नाटकों का मंचन किया गया। इनमें विभिन्न राज्यों के नाटक दलों ने अपने राज्य की संस्कृतियों को मंच पर जिंदा किया। हालांकि नाट्यदल अपनी-अपनी भाषा का प्रयोग कर रहे थे, लेकिन उन्होंने विभिन्न चित्रों के माध्यम से दर्शकों तक बात पहुंचाई। साथ ही नाटक के माध्यम से मंच पर राजस्थान के ग्रामीण इलाकों व जंगल का रूप दिया गया। नाटक देखने के लिए बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी शामिल हुए।
रंगकर्मी के जीवन की कठिनाई बताई
पहला नाटक हंसा गेस्ट हाउस में गोवा से आए नाट्य दल ने मंचित किया। विजय कुमार नाईक के निर्देशन में नाटक ‘मैं नाटकवालाÓ का मंचन हुआ। इसमें एक रंगकर्मी की व्याख्या की गई। रंगकर्मी के जीवन में रंगकर्म के कारण आने वाली परेशानियों और कठिनाइयों को दिखाया गया। रंगकर्म के प्रति समर्पण को दिखाया गया। वर्तमान समय में रंगकर्म की चुनौतियों और उसके परिवार में जिम्मेदारियों का द्वन्द्व नाटक में उभर कर आया।
‘पतलूनÓ में संगीत व हास्य का तालमेल
दूसरा नाटक ‘पतलूनÓ हिसार के नाट्यदल ने टीएम ऑडिटोरियम में मंचित किया। नाटक का निर्देशन मनीष जोशी ने किया। इसके माध्यम से एक व्यक्ति के सपनों, इच्छाओं को पाने का जोश व जुनून दिखाया गया। कलात्मक रूप से खेले गए इस नाटक में रंगों व संगीत के माध्यम से प्रस्तुति को धारा प्रवाह बनाया गया। मंच पर विभिन्न कम्पोजिशन के माध्यम से दर्शक खड़े किए गए, जिसमें सहज हास्य की स्थितियां उत्पन्न हुई।
एक व्यक्ति का संघर्ष
टीएम ऑडिटोरियम में ही नाटक गैंडा का मंचन कोलकाता से आए रंगकर्मी अजहर आलम के निर्देशन में हुआ। यूजेन आइनेस्को की ओर से लिखित द राइनोसेरोस नाटक का हिन्दी अनुवाद गैंडा लिटिल थेस्पियन का बहुचर्चित नाटक है, जिसके अब तक 45 शो हो चुके हैं। गैंडा नाटक एक आदमी के संघर्ष को दिखाता है, जो अपनी पहचान व प्रमाणिकता को एक ऐसी दुनिया में कायम रखने की कोशिश करता है जहां दूसरे लोग पाश्विक बल और हिंसा की सुन्दरता के आगे घुटने टेक चुके हैं। यह एक शहर में फैली काल्पनिक महामारी गैंडाई लहर को दर्शाता है, जिसने लोगों को भयभीत कर रखा है और उन्हें गैंडे में बदल रहा है। इसमें लोगों की आतंरिक क्रूरता को दर्शाया गया।
स्त्री जीवन के अनसुने पहलू किए उजागर

रेलवे ऑडिटोरियम में शाम 4:30 बजे भीलवाड़ा के नाट्य दल ने नाटक भोपो भैंरुनाथ प्रस्तुत किया। नाटक का निर्देशन गोपाल आचार्य ने किया। यह ग्रामीण भारत के स्त्री जीवन के अनसुने आर्तनाद की लोकगाथा है, जो गहरे पारिवारिक-सामाजिक उपेक्षा और तिरस्कार से उपजी है। इसमें संक्रमणकालीन समाज में दोहरी मानसिकताओं के बीच झूलती तथा एक भरे-पूरे घर के बावजूद एकाकी अंधेरों में तिल-तिल घुटती स्त्री दुनिया की व्यथा-कथा बताई गई।
संरक्षण के लिए रचा जंगल का संसार
रवीन्द्र रंगमंच में शाम ६ बजे ताश चांग थोर ए का मंचन किया गया। मणिपुर से आए नाट्यदल ने मंच पर पूरा जंगल खड़ा कर दिया। मंच पर लगभग १५ कलाकारों ने बन्दर बनकर ऑब्जर्वेशन और फिजिकल थियेटर का नायाब नमूना दर्शकों के सामने पेश किया। संगीत अभिनय और लाइट से जंगल का संसार रचने में नाटक कामयाब रहा। मणिपुर की लोकसंस्कृति भी नाटक में दिखी। एक जंगल में बंदरों ने बिना किसी बदलाव के अपने नियमों, आदतों आदि के नियमों का पालन करते हुए जंगल के पेड़ों के संरक्षण में जीवन व्यतीत किया। हालांकि उनके बीच एक युवा और बहुत चालाक बंदर योंखम खुद को इंसान में बदलना चाहता था। सोचा कि वह सफल जीवन जी सकता है, क्योंकि वह इंसानों के व्यवहार को पसंद करता है।
विभिन्न शैलियों का समावेश
रवीन्द्र रंगमंच में रात ८:३० बजे रामायण नाटक का मंचन किया गया। इसमें कठपुतली नृत्य-नाट्य की परिकल्पना में राजस्थानी परिपाटी, पूर्व-पश्चिम, उत्तर, दक्षिण प्रांतो के लोकनृत्य, लोकसंगीत, शास्त्रीय नृत्यों और शास्त्रीय अभिनंदन शैलियों का समावेश किया गया किया। बैले के मुखौटों की आकर्षक ज्यामितीय संरचना में कठपुतलियों के मानवीयकरण को ज्यादा विश्वसनीय बनाया गया। रामकथा के सर्वसमावेशी स्वरूप को कायम रखते हुए यह भारत की भावनात्मक एकता और सांस्कृतिक विपुलता का भी परिचायक रही।
आज समारोह का अंतिम दिन
हंसा गेस्ट हाउस में सुबह १० से ११.३० बजे तक बेम्बो एण्ड सोनाफोन परफोरमेंस सुबह ११.४५ से १२.२५ बजे तक उठगिरी का मंचन टीएम ऑडिटोरियम में दोपहर २ से २.५० बजे तक पॉपकॉर्न, दोपहर ३ से ४.१५ बजे तक हंगलाई का मंचन होगा। रेलवे प्रेक्षागृह में शाम ४.३० से ५.४० बजे तक मेकबेथ का मंचन किया टाउन हॉल में शाम ६.३० से ७.४० बजे तक काठ सुखाई सूर्यमल की का मंचन रविन्द्र रंगमंच में रात ८.१५ से ९.२५ बजे तक मिर्जा साहिब का मंचन होगा।
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