
सांकेतिक फोटो
बीकानेर। अपने वाहन की नम्बर प्लेट पर वीआईपी नंबर लगाने का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। बात चाहे 0001 की हो अथवा 0007 की अथवा अन्य ऐसे ही फैंसी नंबरों की। एक-दूसरे से बढ़ चढ़ कर बोली देकर परिवहन विभाग से ऐसे नम्बर खरीदते हैं।
इस क्रेज का परिणाम है कि जनवरी से सितम्बर तक 9 महीने में परिवहन विभाग ने वीआईपी नंबरों से 27 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाया है। इस साल 31 दिसम्बर तक यह आंकड़ा 30 करोड़ को पार कर जाने की संभावना है।
दरअसल, वाहन चालकों का मानना होता है कि खास नंबर से वाहन को खास पहचान मिलती है। मालिक का भी रुतबा बढ़ता है। ऐसे में वाहन मालिक नया वाहन खरीदने पर नई सीरिज खुलते ही उसमें से अपने पसंद के नम्बर को जारी करवाने के लिए परिवहन विभाग में आवेदन करते हैं।
वीआईपी नंबर लेने की पूरी प्रक्रिया विभाग ने ऑनलाइन कर रखी है। बाकायदा वेबसाइट पर खास नम्बरों की ऑनलाइन बोली लगती है। सबसे ज्यादा राशि की बोली देने वाले वाहन के मालिक को मनचाहा नम्बर अलॉट किया जाता है।
खास नंबरों में 0001 के अलावा 0002, 0777 , 0999, 0007, 0011 एक जैसे चार नम्बरों मसलन 8888, 4444 आदि के प्रति आकर्षक ज्यादा रहता है। कई बार ऐसे नंबर की बोली लाखों रुपए में पहुंच जाती है।
परिवहन विभाग कार्यालय के मुताबिक, वर्ष 2024 में जनवरी से सितंबर तक 768 वाहनों को वीआईपी नंबर जारी किए गए। इनसे एक करोड़ 26 लाख 95 हजार 500 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। इनमें भी पांच नंबर टॉप में रहे। जिनके लिए सर्वाधिक राशि का भुगतान वाहन मालिकों ने किया। इनमें आरजे 07 यूडी 0002 के लिए एक लाख 53 हजार रुपए तक बोली पहुंची।
वाहन नम्बर 0777, 8181 व 0011 के लिए वाहन मालिक ने एक लाख दो हजार रुपए प्रत्येक के लिए भुगतान किए। नम्बर 9000 के लिए एक वाहन मालिक ने 99 हजार रुपए का भुगतान किया।
वीआईपी नंबरों का लोगों में क्रेज दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। कई लोगों ने नंबरों से अपने वाहन की पहचान बना रखी है। घर में एक से अधिक गाड़ियां होने पर सभी पर एक जैसे नंबर लेने का चलन भी खूब है। लोगों के शौक के चलते परिवहन विभाग हर साल नम्बरों की बोली से अच्छा राजस्व जुटा लेता है। इनके लिए वाहन मालिक विभाग के पोर्टल पर आवेदन करते हैं। नंबर अलॉट व फीस जमा कराने तक सब ऑनलाइन रहता है।
भारती नथानी, जिला परिवहन अधिकारी बीकानेर
Published on:
09 Oct 2024 03:51 pm
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