हालांकि खरीद के दौरान गड़बड़ी की आशंका होने पर अधिकारियों ने खुद को पाक-साफ साबित करने के लिए ऑर्डर सीट में इंजेक्शन की तादाद 300 की जगह 30 कर दी थी। कागजी रूप से सही साबित होने के लिए आपूर्ति करने वाली फर्म को सूचना करने का हवाला दिया गया। फिर भी फर्म ने 300 इंजेक्शन की आपूर्ति की और भुगतान की कार्यवाही में फर्म के प्रति सहानुभूति दिखाकर भुगतान कर दिया गया।
कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक इंजेक्शन की 100 मिलीग्राम और 400 मिलीग्राम की डोज आती है। जिस मरीज को 100 की जरूर होती है, उसे 100 एमजी का इंजेक्शन लगाया जाता है। जिसे 200 या 300 की जरूरत होती है। उसे दो या तीन इंजेक्शन दिए जाते हैं। जबकि 500 एमजी की आवश्यकता होने पर 400 व 100 एमजी के दो इंजेक्शन दिए जाते हैं। परन्तु यहां 100 एमजी का एक भी इंजेक्शन नहीं खरीदा गया। सभी 400-400 एमजी इंजेक्शन खरीद किए।
मामला यहां तक ही नहीं रूका। अब तो यह भी आशंकाएं जताई जा रही है कि इस पूरे खेल पर पर्दा डालने के लिए कम डोज की आवश्यकता वाले मरीज को बड़ी डोज भी लगाई जाती हो सकती है। पत्रिका के पास पीबीएम अस्पताल प्रबंधन के माल आपूर्ति के लिए जारी आदेश, नोटशीट पर कैंसर विशेषज्ञ की ओर से 300 की जगह 30 की खरीद करने की संशोधित अनुशंसा और दवा आपूर्ति करने वाले डिस्ट्रीब्यूटर को सहानुभूति दिखाते हुए 30 की जगह 300 इंजेक्शन की आपूर्ति लेकर भुगतान संबंधी आदेश के कागजात है।
ड्रग वेयर हाउस प्रभारी ने दर्ज कराई आपत्ति दवा क्रय आदेश जारी होने के तीन दिन बाद 16 मई को मेडिकल कॉलेज ड्रग वेयर हाउस प्रभारी अधिकारी ने कैंसर विभाग को पत्र लिखकर स्पष्ट शब्दों में कोरोनाकाल में रोगियों की संख्या में अत्यधिक कमी, आगामी ३ माह की वास्तविक मांग, अत्यंत महंगी दवा के अनुप्रयोग अथवा अवधि पार होने की आशंका जताई। जिस पर 300 की जगह 30 इंजेक्शन खरीद करने के संशोधित आदेश जारी किए गए।
खरीद की प्रक्रिया पर संदेश पैदा करती यह कार्रवाई – पीबीएम चिकित्सालय के अधीक्षक कार्यालय की लेखा शाखा ने 13 मई (देशभर में लॉकडाउन था) को मैसर्स गणेश डिस्ट्रीब्यूटर्स बीकानेर को कैंसर दवाओं की आपूर्ति के लिए 62 लाख 66 हजार रुपए आदेश जारी किए।
– यह दवा मुख्यंत्री निशुल्क दवा योजना की नियमित निविदाओं के तहत अनुमोदित नहीं थी। एेसे में अत्यंत आवश्यकता का हवाला देकर दवा की खरीद की गई। – 16300 रुपए प्रति इंजेक्शन की कीमत वाले 400-400 एमजी के 300 इंजेक्शन खरीदने के आदेश किए गए। जिसकी जीएसटी समेत राशि 51 लाख 34 हजार 500 रुपए हैं।
– यह इंजेक्शन पिछले साल 2019 में मात्र तीन इंजेक्शन खरीद किए गए। अब साल 2020 में एक साथ 300 खरीद किए गए। यह कैंसर रोगी को लगने वाली सामान्य दवा नहीं है। फिर कोरोनाकाल में अचानक इतनी बड़ी तादाद में इस दवा की अत्यंत आवश्यकता कैसे पैदा हो गई।
– इस दवा को राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने आपूर्ति करनी थी। सरकार ने नि:शुल्क दवा योजना में शामिल कर लिया था। फिर भी इतनी बड़ी राशि के इंजेक्शन खरीदना अपने आप में संदेह पैदा करता है।
– संशोधन को तुरंत लागू करते हुए 16 मई को सभी दवा आपूर्ति करने वाली फर्मों को फोन कर दवा की आपूर्ति में संशोधन की सूचना दी गई। जो नोटशीट पर लिखी गई। इसके बाद भी फर्म ने 18 मई को 300 इंजेक्शन की आपूर्ति चिकित्सालय भंडार पाल को अंधेरे में रखते हुए केन्द्रीय भंडार को कर दी।
– लेखाविभाग ने 22 मई को संशोधित 30 इंजेक्शन की आपूर्ति की जगह पहले के आदेश पर आपूर्ति किए 300 इंजेक्शन की आपूर्ति को सहानुभूति दिखाने का लिखते हुए स्वीकार कर भुगतान की कार्रवाई कर दी।
अब लेखाधिकारी भी अंजान दवा खरीद कितनी की गई और किस हिसाब से की गई। यह मेरी जानकारी में नहीं है। सुपरिडेंटेट या संबंधित अधिकारी या चिकित्सक से बात करने पर ही सही जानकारी मिल सकती है।
– राजेन्द्र कुमार खत्री, लेखाधिकारी पीबीएम अस्पताल