इनमें बरही, हलावी, खूनिजी तथा मेडजूल किस्में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। मेडजूल किस्म का उपयोग छुआरे बनाने में किया जाता है। खजूर के फलों की परिपक्वता की चार अवस्थाएं होती हैं। इन्हें गंडोरा, डोका, डेंग तथा पिंड कहा जाता है। बीकानेर में सामान्यतया डोका अवस्था में खजूर के फल तोड़े जाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से लोगों में खजूर के प्रति आकर्षण बढ़ा है। जुलाई-अगस्त में इनकी मांग अधिक रहती है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय इस बार 20 जून को सुबह 11 बजे खजूर फार्म में इन फलों की नीलामी करेगा।
माना जाता है पूर्ण आहार फार्म प्रभारी डॉ. एआर नकवी ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार खजूर मधुर, पौष्टिक, बलवद्र्धक, श्रमहाकर, पित्तनाशक होता है। खजूर में विटामिन, प्रोटीन, रेशे, कार्बोहाइड्रेट और शर्करा होने से इसे पूर्ण आहार कहा जाता है। इसी कारण उपवास के दिन भी ऊर्जा की आपूर्ति के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
भरपूर मात्रा में होता है आयरन उद्यान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खजूर में भरपूर मात्रा में आयरन होता है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करता है। खजूर में मौजूद विटामिन बालों को मजबूत बनाते हैं तथा इसके नियमित उपयोग से झड़ते बालों की समस्या दूर हो जाती है। खजूर में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज, फेक्ट्रोज और सुक्रोज पाया जाता है। इस कारण तुरंत ताकत के लिए खजूर का सेवन बेहद लाभदायक होता है। खजूर में कैल्सिमय, मैगनीज और कॉपर की मात्रा होती है। इसके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है।