विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई की। वरीयता सूची में सैकंड ग्रेड शिक्षक के रूप में चयनित भी हो गए। उनका बेटा अब कक्षा ११ में पढ़ रहा है, लेकिन उनका संघर्ष अब भी जारी है। वे खेती-मजदूरी कर बच्चों का भरण पोषण कर रहे हैं। आर्थिक संकट से जूझ रहे है। धाकड़ ने बताया कि वे नियुक्ति की उम्मीद में बैठे हैं। नंदलाल ही नहीं, एेसे सैकड़ों चयनित बेरोजगार अभ्यर्थियों ने निदेशालय पहुंचकर प्रदर्शन किया और नियुक्ति मांगी।
दस्तावेज सत्यापन हुए
शिक्षा निदेशक से मिलने पहुंचे चयनित अभ्यर्थियों ने बताया कि उनके दस्तावेजों का सत्यापन हो चुका है, लेकिन नियुक्ति नहीं मिली। फाइल सचिवालय में अटकी है। जानकारी के अनुसार वर्ष २०१३ में शिक्षक भर्ती निकली थी और फरवरी-२०१४ में परीक्षा हुई। उसी साल सितंबर में परिणाम आ गया, लेकिन यह विवादित उत्तर कुंजी तृतीय के आधार पर आया। इसके बाद भी सरकार ने दिसंबर-२०१४ में नियुक्तियां दे दी, तो एक अभ्यर्थी ने न्यायालय में वाद दायर कराया। इसका फैसला १२ जुलाई, २०१८ में चयनित शिक्षकों के पक्ष में आया। न्यायालय ने नियुक्ति के आदेश भी दिए।
फिर भी नौ माह लग गए शिक्षा विभाग ने वर्ष २०१९ में मार्च-अप्रेल में दोबारा परिणाम (रिवाइज) घोषित किया है, लेकिन अभ्यर्थी अब भी नियुक्ति के लिए चक्कर लगा रहे हैं। प्रदेशभर से निदेशालय पहुंचे चयनित अभ्यर्थियों ने निदेशक को ज्ञापन भी सौंपा है।