नौ दिनों तक चलेंगे पूजन-अनुष्ठाननवरात्रा के नौ दिनों तक देवी पूजन-अनुष्ठान के आयोजन होंगे। घरों व मंदिरों में देवी उपासक दुर्गा सप्तशती पाठ, श्रीसूक्त पाठ, देवी अथर्वशीष पाठ और देवी मंत्रों का जाप कर हवन में आहूतियां देंगे। ज्योतिषचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार शनिवार को घट स्थापना के लिए सुबह 8 बजे से 8.30 बजे तक और सुबह 11 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त है। पंडित किराडू के अनुसार नवरात्रा में श्रद्धालु नौ दिनों तक व्रत, देवी पूजन, उपासना, भजन, कीर्तन, स्तुतिगान करेंगे। नवरात्रा के दौरान 9 अप्रेल को दुर्गाष्टमी पर्व और 10 अप्रेल को रामनवमी पर्व मनाया जाएगा।
घर-घर में होगा पूजन
चैत्र नवरात्रा पर घर-घर में स्थापित देवी मूर्तियों का तेल, सिंदूर, बर्ग, मालीपाना आदि पूजन सामग्री से पूजन कर आरती की जाएगी। मिट्टी के पालसिए में गेंहू बोए जाएंगे। घट स्थापना के साथ् शुरु होने वाले नवरात्रा व्रत, पूजन और अनुष्ठान के दौरान नौ दिनों तक देवी की पूजा-अर्चना, उपासना और धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन होंगे। पंडित किराडू के अनुसार नवरात्रा के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरुपो शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुशमाण्डा, स्कंध माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का पूजन, उपासना होगी। पहले दिन देवी शैलपुत्री स्वरूप का पूजन होगा।
मंदिर सजे, रात तक चलती रही तैयारियां
नवरात्रा को लेकर शहर में िस्थत देवी मंदिरों के रंग रोगन के साथ रंगीन रोशनी से सज गए है। नवरात्रा को लेकर मंदिर पुजारी, श्रद्धालु देर रात तक निज मंदिर सहित मंदिर परिसर को सजाने में जुटे रहे। पहले नवरात्रा पर बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए पुख्ता व्यवस्थाएं की गई है। नागणीचीजी मंदिर, विजय भवन, जूनागढ़ परिसरिस्थत देवी मंदिर, जयपुर रोड िस्थत वैष्णोधाम, करमीसर रोड िस्थत मां सिच्च्याय ओसिया मंदिर, बिन्नाणी कॉलेज के पास िस्थत राज राजेश्वरी बाला त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, गायत्री भवन, भट्टाेलाई तलाई क्षेत्र िस्थत मां उष्ट्र वाहिनी मंदिर, सुजानदेसर कालीमाता मंदिर, पुरानी गिन्नाणी िस्थत देवी मंदिर, सूरसागर के पास िस्थत करणी माता मंदिर सहित शहर में िस्थत देवी मंदिरों में नवरात्रा के दौरान पूजन, अनुष्ठान के आयोजन होंगे।
बाजारों में खरीदारी
नवरात्रा को लेकर शहर के विभिन्न बाजारों में शुक्रवार रात तक खरीदारी चलती रही। लोगों ने नवरात्रा पूजन अनुष्ठान के लिए विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री, धर्म पताकाएं, देवी वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार सामग्री, सुहाग सामग्री, श्रीफल, पुष्प मालाएं, प्रसाद के लिए मिठाईयां, विभिन्न प्रकार के ऋतुफल, मिट्टी से बने पालसिए आदि की खरीदारी की।