असल में स्कूल में कुल ३९८ विद्यार्थी हैं, लेकिन गुरुवार को निरीक्षण के समय स्कूल में महज १५० बच्चे ही उपस्थित थे। इतनी कम संख्या देखकर वेंकटेश्वरन ने असंतोष जाहिर किया। उनके साथ माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल, जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय उमाशंकर किराड़ूू भी थे। उन्होंने महारानी स्कूल और टीटी कॉलेज का निरीक्षण भी किया। बाद में शिक्षा निदेशालय में अधिकारियों की बैठक ली।
प्रमुख शासन सचिव कक्षा छह में निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां ४६ में से २४ बच्चे ही थे। उन्होंने कम संख्या का कारण पूछा तो शिक्षिका ने कहा कि राखी व अन्य त्योहार होने से बच्चे छुट्टियों पर हैं। इस पर प्रमुख शासन सचिव ने कहा, ‘मैडम! यदि आप निजी स्कूल में होती तो क्या इसी तरह का जबाव देती। कभी निजी स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति देखी है। त्योहार या अन्य बहानेबाजी नहीं चलेगी। आप बच्चों की उपस्थित को लेकर गंभीर नहीं हैं।Ó
उन्होंने अंग्रेजी की शिक्षिका को अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर बालिकाआें की अंग्रेजी में सुधार करने की बात कही।
प्रमुख शासन सचिव ने पुस्तकालय से पुस्तक ले जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या के बारे में पूछा तो प्रभारी शिक्षिका ने कहा कि अभी सत्र शुरू हुआ है और निशुल्क पुस्तकों का काम चल रहा है। बाद में उन्होंने पिछले साल की संख्या ही बताने को कह दिया। इस पर पुस्तकालय प्रभारी ने रजिस्टर खोला तो उसमें पुस्तक लें जाने की तिथि थी, लेकिन जमा करने की नहीं थी। उन्होंने स्कूल में बनाई ट्रेन का अवलोकन किया। प्रयोगशाला में कहा कि यह सामान कभी खोलते हैं या नहीं?
बीकानेर. जिला प्रभारी सचिव एवं प्रमुख शासन सचिव (स्कूल शिक्षा) डॉ. आर वेंकेटश्वरन ने कहा कि जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा देना, उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना ही प्राथमिकता है। उन्होंने गुरुवार को स्कूलों में निरीक्षण के दौरान ही पत्रकारों से बातचीत में कहा कि निरीक्षण तो इसलिए किया, ताकि सौंपे गए दायित्वों की पालना का पता लग सके। साथ ही जो कमियां हैं, उनको दूर करने का प्रयास किया जा सके।
उन्होंने बताया कि पिछले साल सरकारी स्कूलों को भामाशाहों ने १६० करोड़ रुपए का फंड मुहैया कराया, जिससे स्कूलों के स्तर में सुधार किया जा रहा है। कुछ समय से सरकारी स्कूलों की तरफ रुझान बढ़ा है, लेकिन और प्रयास करने होंगे। उन्होंने जर्जर भवनों की स्थिति को दिखाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए समग्र शिक्षा काम कर रहा है। एसडीएमसी भी आगे आ रही है। इस तरह के स्कूलों के संचालक समसा में समस्या रख सकते हैं।