सम्प्रेषण एवं किशोर गृह में बालकों को रखने का सुरक्षा एवं सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कार्य होने के बावजूद ढाई महीने से अधीक्षक ही नहीं है। जानकारी अनुसार अधीक्षक किशनलाल करीब ढाई महीने से अवकाश पर चल रहे है। एेसे में बालकों की सुरक्षा से लेकर भोजन पानी तक सब व्यवस्था अस्त-व्यस्त है। सामान खरीद के बिल, कर्मचारियों का वेतन यहां तक की राशन तक उधार का लाना पड़ रहा है।
सम्प्रेषण एवं किशोर गृह में २८ बालक हैं। इनमें से प्लेस ऑफ सेफ्टी के १३ बालक, संप्रेषण गृह में सात और किशोर गृह में सात बालक हैं। अधिकारी मुख्यालय को पत्र लिखकर प्लेस ऑफ सेफ्टी के १६ बालकों को अस्थायी रूप से अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए कह चुके है। छह महीने से पत्र व्यवहार चल रहा है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। नतीजन तीन विधि से संघर्षरत बालक मौका पाकर भाग छूटे। गत १९ जून की खूनी संघर्ष के बाद बालकों को दूसरी जगह अस्थायी रूप से शिफ्ट करने की कार्रवाई शुरू की गई लेकिन कुछ दिन बाद फिर ठंडे बस्ते में डाल दी।
अधीक्षक का पद रिक्त पड़ा है, जिससे बिल और कई कार्य अटके हुए हैं। सुरक्षा, भोजन आदि जरूरी कार्य वैकल्पिक व्यवस्था से संचालित हो रहे हैं। घटना के बाद से सुरक्षाकर्मियों को हटा दिया है। सुरक्षा के लिए नए ठेके की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वर्तमान में चल रहे ठेके को निरस्त करने के लिए लिखा गया है।
कविता स्वामी, सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग