आरोपित की ओर से बचाव की तमाम कोशिशें नाकाम रही। अभियोजक पुरोहित के मुताबिक आरोपित ने खुद को नाबालिग बताकर न्यायालय को गुमराह किया। हाईकोर्ट में आरोपित ने दो बार इस संबंध में प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया, लेकिन हाईकोर्ट ने आखिरकार उसे बालिग ही माना। इसके बाद उसे सजा सुनाई जा सकी।
नयाशहर थाने में २९ अक्टूबर, २००९ को पीडि़ता के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया कि २८ अक्टूबर, २००९ की शाम को उसके रिश्तदारी में कार्यक्रम था। उसकी दो पुत्रियां वहां गई थी। रात ग्यारह बजे तक वापस नहीं आई तो उनकी तलाश की। अगले दिन सुबह सात बजे गंगासिंह विवि के दो गार्ड उसकी बड़ी बेटी (पीडि़ता) को लेकर आए। पीडि़ता ने बताया कि आरोपित आनंद सोनी उन्हें गाड़ी में पेट्रोल भरवाने के बहाने गोचर में ले गया और वहां दुष्कर्म व मारपीट की।