यह बढ़ा रहे खतरा
गीष्मावकाश के चलते लोग देशभर के पर्यटक स्थलों पर घूमने जा रहे हैं। अथवा घूमकर लौट रहे हैं। इनके कोरोना की चपेट में होने की आशंका ज्यादा है।
कोविड प्रोटोकाल की अनदेखी
पीबीएम अस्पताल, निजी अस्पतालों, जांच लैबों और मेडिकल स्टोर आदि पर जहां मरीजों का ज्यादा सम्पर्क रहता है, वहां पर लोग बिना मास्क के देखे जाते हैं। हाथ बार-बार धोने की आदत भी अब छोड़ चुके हैं। रेलवे स्टेशन तथा बस स्टैंड पर बाहर के लोगों का आना-जाना ज्यादा रहता है। फिलहाल बस और ट्रेनों का सामान्य संचालन होने लगा है। सार्वजनिक शौचालयों, प्याऊ, यात्री विश्राम स्थल आदि पर भी सेनेटाइजर का प्रयोग बंद है।
वैक्सीन को लेकर उदासीनता
कोविड के मरीज बढ़ने पर लोग कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए उतावले दिखे थे। अब करीब छह महीने से जैसे ही कोरोना मरीज आने बंद हुए, लोगों ने वैक्सीन की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया है। कुछ ने तो पहली डोज और बड़ी तादाद में लोगों ने दूसरी डोज भा नहीं लगवाई है। कोरोना जांच कराने को लेकर भी लोग लापरवाह हो गए हैं। पहले बुखार होने पर हर मरीज अपनी कोरोना जांच अवश्य करवाता था। अब ऐसा नहीं है।
लापरवाही वजह
लोग कोविड गाइड लाइन की पालना को एकदम भूल गए। साथ ही दो साल के बाद लोगों का बाहर घूमने जाने की वजह से भी कोविड संक्रमित सामने आ रहे हैं। इस समय अधिकांश मरीज साठ से ऊपर वाले आ रहे हैं। साथ ही वैक्सीन भी लगाने में लापरवाही बरती गई है।- डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा, नोडल अधिकारी कोविड अस्पताल