निगम में जिस धीमी गति से कर्मचारियों के प्रान नम्बर जारी हो रहे है, इससे कर्मचारियों के समक्ष मासिक वेतन मिलने की समस्या खड़ी हो सकती है। वहीं कर्मचारी यूनियन भी बार-बार सभी कर्मचारियों के जल्द से जल्द प्रान नम्बर जारी करने की मांग करते आ रहे है।
761 कर्मचारियों को प्रान नम्बर का इंतजार
नगर निगम में कार्यरत 1484 कर्मचारियों में 1285 कर्मचारी ऐसे है जो न्यू पेंशन स्कीम के तहत कार्यरत है। इनके प्रान नम्बर बनने है। निगम अब तक ५२४ कर्मचारियों के ही प्रान नम्बर बना सका है। संबंधित शाखा की जानकारी अनुसार 761 कर्मचारियों के प्रान नम्बर बनने बाकी है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2004 से 2018 तक निगम में कार्यरत कर्मचारियों में से करीब 30 कर्मचारियों के ही प्रान जारी हो पाए थे। पूर्व में भी डीएलबी की ओर से सख्ती बरतने पर तत्कालीन आयुक्त प्रदीप के गवांडे ने एक कार्मिक ज्ञान प्रकाश बारासा को इस कार्य के लिए नियुक्त किया। वर्ष 2018 से अब तक करीब 450 से अधिक कर्मचारियों के प्रान नम्बर बनने बताए जा रहे है।
डीएलबी ने फिर दिखाई सख्ती
न्यू पेंशन स्कीम के तहत कार्यरत कर्मचारियों के वेतन बिलों पर प्रान नम्बर अंकित करने को लेकर डीएलबी ने फिर सख्ती दिखाई है। डीएलबी निदेशक एवं विशिष्ट सचिव दीपक नंदी ने स्थानीय निकायों के आयुक्त और अधिशाषी अधिकारियों को भेजे पत्र में बताया है कि प्रत्येक कर्मचारी के प्रान नम्बर सही और आवश्यक रूप से अंकित किए जाए। बिना प्रान नम्बर के कोई भी बिल आहरित नहीं किया जाए। आदेश में बताया है कि यदि किसी कर्मचारी को बिना प्रान नम्बर के वेतन बिल आहरित किया जाता है तो निर्देशों का उल्लंघन मानते हुए संबंधित कैशियर एवं अधिकारी के विरुद्ध राजस्थान राज्य सेवा नियमों के तहत कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में ली जाएगी।
नहीं कर रहे सुनवाई
एनपीएस के तहत कर्मचारियों के लिए प्रान नम्बर जरुरी है। हर माह वेतन से हो रही कटौती इसी प्रान नम्बर के माध्यम से उनके खातों में जमा होगी। सफाई कर्मचारी नेता शिव लाल तेजी के अनुसार बिना प्रान नम्बर के कटौती की गई राशि कर्मचारियों के खातों में नहीं जा रही है। इसका नुकसान कर्मचारियों को हो रहा है। कई बार एनपीएस कर्मचारियों को जल्द से जल्द प्रान नम्बर जारी करवाने की मांग की जा चुकी है। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। निगम प्रशासन की ओर से इस कार्य के लिए केवल एक सफाई कर्मचारी को नियुक्त कर रखा है।