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डेंगू से सर्वाधिक मौतें राजस्थान में, इस बार फिर मंडरा रहा खतरा

locationबीकानेरPublished: Jul 07, 2022 10:28:17 am

Submitted by:

Ashish Joshi

नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल की रिपोर्ट ने बजाया अलार्म : पिछले वर्ष देश में डेंगू से हुई मौतों में से 32 फीसदी प्रदेश में

डेंगू से सर्वाधिक मौतें राजस्थान में, इस बार फिर मंडरा रहा खतरा

डेंगू से सर्वाधिक मौतें राजस्थान में, इस बार फिर मंडरा रहा खतरा

-आशीष जोशी
प्रदेश में इस साल भी डेंगू डंक मार रहा है। हालात यह है कि मानसून की दस्तक से पहले ही राज्य में अप्रेल तक डेंगू के 467 मामले सामने आ चुके थे। अब बरसात के साथ ही डेंगू के केस बढऩे का खतरा मंडरा रहा है। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और नगर निकायों की ओर से मच्छररोधी गतिविधियों में देरी की वजह से पिछले साल देश में डेंगू से सर्वाधिक मौतें राजस्थान में हुई थी। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनवीबीडीसीपी) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में प्रदेश में डेंगू के 20749 रोगी मिले। जिनमें से 96 की मौत हो गई। जबकि देश में इस बीमारी से 306 रोगियों ने दम तोड़ा था। चौंकाने वाली बात है कि देश में डेंगू से हुई कुल मौतों में से करीब 32 फीसदी अकेले राजस्थान में हुई। इस साल अब तक डेंगू से देश में तीन रोगियों की जान गई। जिसमें से एक राजस्थान का है। इस साल 31 मई तक देश में कुल 10172 केस आए हैं।

 

आंकड़ों में जानिए प्रदेश में कैसे डरा रहा डेंगू
वर्ष – मामले – मौत
2015 – 4043 – 7
2016 – 5292 – 16
2017 – 8427 – 14
2018 – 9587 – 10
2019 – 13706 – 17
2020 – 2023 – 7
2021 – 20749 – 96

केस यूपी-पंजाब में ज्यादा, मौतें हमारे यहां
वर्ष 2021 में यूपी में डेंगू के सर्वाधिक 29750 मामले सामने आए। वहीं 23389 केस के साथ पंजाब दूसरे नम्बर पर था। डेंगू केस के मामले में राजस्थान तीसरे स्थान पर था, लेकिन 96 मौतों का कलंक राजस्थान के माथे पर लगा। पिछले वर्ष यूपी में 29 व पंजाब में 15 रोगियों की मृत्यु हुई।

मलेरिया-चिकनगुनिया से ज्यादा डेंगू के मामले
प्रदेश में मलेरिया-चिकनगुनिया से ज्यादा डेंगू के केस आ रहे हैं। अप्रेल 2022 तक राज्य में डेंगू के 467 केस आए, जबकि मलेरिया के 12 और चिकनगुनिया के 49 रोगी सामने आए। जयपुर (163) और अलवर (42) में सर्वाधिक मरीज मिले।

महकमा बेबस, इंतजाम नाकाफी
चिकित्सा विभाग पिछले साल डेंगू के आगे बेबस नजर आया। विभाग के पास मच्छर पकडऩे का इंसेक्ट कलेक्टर तक नहीं है। सर्वे के लिए एंटोमोलॉजिस्ट के पद खाली पड़े हैं।

बार-बार बदल रहा शक्ल
विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले साल डेंगू के नए वेरिएंट डेनवी-2 और डेनवी-3 के कारण मरीजों की मौत का खतरा ज्यादा रहा। चारों सीरोटाइप अलग-अलग तरह से एंटीबॉडी को प्रभावित करते हैं। नए वेरिएंट से लिवर-किडनी फेलियर, दिमाग में संक्रमण, बीपी बढऩा जैसे लक्षण मिले। इस बार भी इसके जेनेटिक शक्ल बदलने की आशंका जताई जा रही है।

एक्सपर्ट व्यू : डेंगू के मच्छर बढ़े
पिछले दो-तीन सालों में मलेरिया की तुलना में डेंगू के मच्छर बढ़े हैं। मच्छरों में बायोलॉजिकल कॉम्पिटिशन के अलावा स्वच्छता को लेकर जागरूकता की वजह से ऐसा हुआ है। डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। स्प्रे, छिड़़काव और अन्य मच्छररोधी गतिविधियां मानसून से पहले ही शुरू हो जानी चाहिए। अभी भी वृहद स्तर पर ये गतिविधियां हो जाए तो हम काफी हद तक इससे बच सकते हैं। डेंगू का वायरस बार-बार स्ट्रेन बदलता रहता है। इस बार भी इसका कोई नया वेरिएंट आ सकता है।
– डॉ. आलोक गुप्ता, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन, एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर।

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