बीकानेर

समर्थन मूल्य घोषित हो तो मिले राहत, दाम कम होने से किसानों में मायूसी

कृषि उपज मंडी में इन दिनों मोठ की आवक बढ़ गई है। मंडी परिसर मोठ की ढेरियों से अटा है।

बीकानेरNov 09, 2017 / 12:59 pm

dinesh kumar swami

मोठ

रमेश बिस्सा/नोखा. कृषि उपज मंडी में इन दिनों मोठ की आवक बढ़ गई है। मंडी परिसर मोठ की ढेरियों से अटा है। दूर-दराज के गांवों से किसान मोठ लेकर मंडी पहुंच रहे हैं। दूसरी तरफ न्यूनतम समर्थन खरीद मूल्य घोषित नहीं होने से काश्तकारों में मायूसी भी है। काश्तकारों की मानें तो इस समय मोठ के भाव पर्याप्त नहीं मिल रहे हैं।
 

पिछले साल जहां भाव 4327 रुपए प्रति क्विंटल औसतन मिल रहे थे, इस बार अभी 3000 से 3300 रुपए प्रति क्विंटल ही मिल रहे हैं। वहीं पुरानी मोठ 2500 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है। ऐसे में काश्तकार चाहते हैं कि सरकार मोठ के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करे। काश्तकारों की मानें तो मूंग के भाव मोठ से दुगने हैं।
 

एशिया की बड़ी मंडियों में शुमार
मोठ के लिए नोखा की कृषि उपज मंडी एशिया की बड़ी मंडियों में शुमार बताई जाती है। जानकारी के अनुसार बाड़मेर, चूरू, जैसलमेर , बीकानेर क्षेत्र में मोठ की पैदावार होती है। सर्वाधिक पैदावार और बिक्री नोखा में ही होती है। नोखा उपज मंडी में न केवल आसपास के गांव, बल्कि अन्य जिलों से भी किसान मोठ की बिक्री के लिए आते हैं।
 

अब तक 3 लाख बोरी की आवक
मंडी सचिव राजेन्द्र कुमार ने बताया कि अप्रेल से अक्टूबर तक उपज मंडी में मोठ की 3 लाख 7 हजार 459 बोरी की आवक हुई है। वहीं पिछले साल अप्रेल से अक्टूबर तक 2 लाख 31 हजार 972 बोरियों की आवक हुई थी। हालांकि पिछले साल अक्टूबर में 87 हजार 429 बोरी मोठ आई थी। इस साल अक्टूबर में 60 हजार 166 बोरी की ही आवक हुई।
 

मंदी का दौर है
इस साल मंदी का दौर चल रहा है। बुआई से लेकर अब तक का खर्चा जोड़ें तो किसी तरह का मुनाफ इस बार नहीं हुआ। पैदावार भी कम हुई, आय का बुरा हाल है। अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। समर्थन मूल्य घोषित हो तो किसानों को फायदा होगा।
उम्मेदाराम, किसान
 

 

दाम कम हैं
देखिए सरकार को मोठ के लिए समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए, ताकि किसानों को राहत मिल सके। जोधपुर से यहां पर मोठ बेचने के लिए आए हैं, लेकिन दाम कम हैं। इससे फसल की पूरी लागत भी नहीं मिल पाती है। इस बार मुनाफा कम हो रहा है।
मोहनराम, किसान

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