अभिभावकों ने बताया कि मई में लॉटरी प्रक्रिया से प्रवेश लिया गया था जिसकी जानकारी सभी लोगों तक नहीं पहुंची। जिन गरीब व निरक्षर परिवारों के बच्चे इस विद्यालय में अध्ययन कर रहे थे। उन परिवारों में से अधिकांश परिवारों ने लॅाटरी प्रक्रिया में यह सोचकर भाग नहीं लिया कि उनके बच्चे को अध्ययनरत है। अब उन बच्चों को टीसी थमाई जा रही है। साथ ही कई परिवार अब प्रवेश के लिए विद्यालय में जाते है तो उन्हें साफ जवाब मिलता है।
स्टाफ पर भी निर्णय नहीं
अंग्रेजी माध्यम में तब्दील होने के बाद इस विद्यालय में अंग्रेजी माध्यम के दस शिक्षक लगा दिए गए है। जबकि यहां अभी भी पूर्व में कार्यरत 12 का स्टाफ यथावत है। ऐसे में कुल संख्या 22 हो चुकी है। फिलहाल स्पष्ट गाइडलाइन नहीं होने से स्टाफ को पता ही नहीं है कि बच्चों कक्षाएं अंग्रेजी माध्यम के स्टाफ को लेनी है या हिन्दी माध्यम वाले स्टाफ को। ऐसे में असमंजस की स्थिति बनी है। इस मामले को लेकर सरपंच मुन्नी शेख, रामचन्द्र पुरोहित, रामकिशोर स्वामी, मुरलीधर, भंवरलाल सहित जनप्रतिनिधियों व अभिभावकों ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन देते हुए इस शिक्षा सत्र में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय संचालन में शिथिलता प्रदान करने की मांग उठाई है। ताकि गरीब परिवारों के करीब 200 बच्चों को शिक्षा से वंचित ना होना पड़े।