निगम के पूर्व आयुक्त के 3 जुलाई को अजमेर नगर निगम में स्थानान्तरण होने से आयुक्त का पद खाली पड़ा है। हालांकि जिला कलक्टर की ओर से न्यास सचिव मेघराज सिंह मीना को निगम के दैनिक कार्यो के निस्तारण की जिम्मेदारी सौंप रखी है, लेकिन स्थाई आयुक्त नहीं होने से निगम संबंधित प्रशासनिक निर्णय नहीं हो पा रहे है।
20 – 20 लाख के कार्यो पर असमंजस
निगम क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में 20 – 20 लाख रुपयों के निर्माण और विकास कार्य होने है। महापौर के आदेश के बाद पार्षदों से उनके वार्डो में करवाए जाने वाले कार्यो के प्रस्ताव लिए जा चुके है। निगम के तकनीकी अधिकारी सर्वे कर तकनीकी स्वीकृति जारी कर चुके है। वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति जारी नहीं हुई है। निगम के मुख्य लेखाधिकारी जी एस रांकावत के अनुसार प्रशासनिक स्वीकृति के बाद वित्तीय स्वीकृति जारी होती है। पूर्व आयुक्त की ओर से वार्डो में होने वाले बीस बीस लाख के विकास कार्यो की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति जारी नहीं की हुई है। पहले तकनीकी स्वीकृति फिर वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के बाद ही टेण्डर प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
स्वीकृति जरुरी
किसी कार्य के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति आवश्यक होती है। पहले प्रशासनिक स्वीकृति जारी होती है फिर वित्तीय स्वीकृति। निर्माण कार्यो में तकनीकी स्वीकृति भी जारी होती है। निगम में डीएलबी की ओर से हालांकि उपायुक्त मंगलाराम पूनिया को स पूर्ण वित्तीय अधिकार अब दे दिए गए है, लेकिन निगम के किसी अधिकारी के पास आयुक्त के प्रशासनिक अधिकार नहीं होने से नए निर्माण और विकास कार्यो पर अब भी असमंजस बना हुआ है।
ये अटक रहे काम
-निगम में किसी अधिकारी के पास प्रशासनिक अधिकार नहीं होने से नए निर्माण और विकास कार्यो की स्वीकृति जारी नहीं हो पा रही है।
-जिन अनुबंधित फर्मो की कार्य करने की अवधि समाप्त हो रही है उनके नए टेण्डर नहीं हो पा रहे है।
– कर्मचारियों की अनुकम्पा नियुक्ति, डीपीसी, पदोन्नति प्रकरण अटके हुए है।
– निगम की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं में प्रशासनिक निर्णय नहीं हो पा रहे है।
– निगम गोशाला से पशुओं का शिफ्टि अन्य गोशालाओं में होना है, लेकिन बिना प्रशासनिक निर्णय के यह कार्य अटका हुआ है।
काम करने की मंशा नहीं
निगम में प्रशासनिक अधिकार आयुक्त के पास होते है। कार्यवाहक आयुक्त है, लेकिन उनका ध्यान निगम की ओर न होकर अपने मूल विभाग यूआईटी की ओर ही है। आमजन और पार्षदों के काम नहीं हो रहे है। जनता परेशान हो रही है। जिला कलक्टर ने अपने आदेश में केवल निगम के दैनिक कार्य सम्पादन का अधिकार न्यास सचिव को दिया है, लेकिन वे कर्मचारियों को नोटिस दे रहे है, कुछ टेण्डर भी लगाए है। अगर कार्यवाहक आयुक्त की मंशा हो तो वार्डो के बीस बीस लाख के कार्यो के लिए टेण्डर प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
जावेद पडि़हार, पार्षद