धनतेरस पर लक्ष्मी पूजन की सामग्री,पीतल तांबा, सोना, चांदी के आभूषण, बर्तन, वाहन, भूमि खरीद का खास महत्व रहेगा। इसके लिए बाजार सजकर तैयार हो गए है। पुष्य नक्षत्र पर ग्राहकी को देखते हुए दुकानदारों को धनतेरस पर भी अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है।
पंचागकर्ता के अनुसार धर्म शास्त्रीय मान्यता में समुद्र मंथन के समय इस दिन भगवान धनवन्तरि अपने
हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, मान्यता है कि भगवान धनवन्तरि को विष्णु के अंशावतार माना गया है।
संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवन्तरि का अवतार लिया था। इसी उपलक्ष्य में धनतेरस पर्व मनाया जाता है।
यह रहेगा मुहूर्त
पंचागकर्ता पंडि़त राजेन्द्र किराडू के अनुसार धनतेरस पर सुबह 7.55 से 10.50 तक अमृत का चौघडि़या एवं स्थिर लगन रहेगा। इसके बाद 12.15 से01.36 तक, 2.40 से 4.15, शाम 7.15 से 10.30 तक स्थिर लगन एवं लाभ का चौघडि़या खरीदारी के लिए श्रेष्ठ रहेगा।
आयुर्वेद के जनक
आयुर्वेद चिकित्सा के जनक भगवान धनवन्तरि का पूजन का इस दिन खास महत्व है। श्री मोहता आयुर्वेदिक रसायनशाला की ओर से 25 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे मोती भवन में भगवान धन्वन्तरि जयंती समारोह आयोजित किया जाएगा। इस दौरान धन्वन्तरि की पूजा-अर्चना होगी। आयुर्वेदिक चिकित्सा के महत्व पर विशेषज्ञ प्रकाश डालेंगे। साथ राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में शुक्रवार को धन्वन्तरि जयंती मनाई जाएगी। गुरुवार को चिकित्सालय परिसर में चिकित्सा शिविर लगाया जाएगा।