पर्ची में लिखी ब्रांडेड दवाअगर किसी मरीज के पास आरजीएचएस का कार्ड है, तो उसे सरकारी अस्पताल की पर्ची पर बाहर की दवा लिखी जाती है लेकिन पर्ची पर आरजीएचएस का नंबर होना जरूरी है। शल्य चिकित्सा विभाग के जिस चिकित्सक ने मरीज के यह दवा लिखी है, वह आरजीएचएस का पर्ची न होकर सामान्य आउटडोर की पर्ची थी। इस पर्ची में जेनरिक अथवा अस्पताल की दवा खिड़की पर मिलने वाली न लिख कर प्रोपेगेन्डा दवा यानी ब्रांडेड दवाई लिखी गई है, जो दवा केन्द्र पर नहीं मिलती है।
पहले दो घंटे लाइन में, फिर भटकता रहा दवा केन्द्र परपल्लू से आया यह मरीज पहले तो दो घंटे चिकित्सक को दिखाने के लिए लाइन में खड़ा रहा। दोपहर 12 बजे नंबर आया, तो उसकी पर्ची पर दवा लिखी गई। इसके बाद जब वह सोलह नंबर आउटडोर के दवा केन्द्र पर गया, तो दवा नहीं मिली। एक-एक करके वह तीन दवा केन्द्रों पर भटकता रहा। पत्रिका का प्रतिनिधि जब यह पर्ची लेकर दवाइयों के केन्द्रीय भंडार पर गया, तो उसे बताया गया कि ये दवाइयां ब्रांडेड हैं, जो अस्पताल की सूची में शामिल नहीं हैं।
इस बारे में पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पीके सैनी का कहना है कि अगर कोई चिकित्सक सरकारी पर्ची पर बाहर की दवा लिखता है, ताे यह सरकार के नियमों का उल्लंघन है। अगर किसी चिकित्सक ने लिखी है, तो उसे पाबंद किया जाएगा।