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बीकानेर

डॉक्टरों ने मुंह मोड़ा तो अपने ही कर रहे जिंदगी बचाने का जतन, देखें तस्वीरें

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6 years ago
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सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के चलते शहर से गांवों तक मरीजों का हाल बेहाल है। रेजीडेंट डॉक्टरों ने गुरुवार दोपहर दो बजे से कार्यबहिष्कार का एलान कर दिया है। एेसे में पहले से बेपटरी चिकित्सा व्यवस्था और ज्यादा बिगड़ सकती है। फिलहाल पीबीएम में सेवारत चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जोन के बाद से रेजीडेंट डॉक्टरों ने ही व्यवस्था संभाल रखी थी।
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उधर, हड़ताल के चलते मौसमी बीमारियों से जूझ रहे लोग मजबूरी में निजी अस्पतालों की ओर रूख कर रहे है। ग्रामीण मरीज तो दोहरी आर्थिक मार झेलने को मजबूर है। गांव के चिकित्सा केन्द्र पर चिकित्सक नहीं मिलने पर उपचार कराने शहर पहुंचते है लेकिन यहां भी उन्हें समुचित उपचार नहीं मिल रहा है। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार भी आंदोलन को लेकर सख्त हो गई है। सरकार ने हड़ताली चिकित्सकों के संदर्भ में जिला कलक्टर से रिपोर्ट मांगी है। सरकार और चिकित्सकों की खींचतान का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
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सेवारत चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार को रजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन एसपी मेडिकल कॉलेज ने समर्थन देते हुए बुधवार सुबह 9 से 11 बजे तक कार्य बहिष्कार रखा। दो घंटे तक वार्ड में मरीज केवल नर्सिंग स्टाफ और मरीजों के भरोसे रहे। रेजीडेंट चिकित्सकों ने 9 नवम्बर की दोपहर दो बजे तक सरकार के मांग नहीं मानने पर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर जाने की चेतावनी दी है।
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इस संबंध में रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का प्रतिनिधि मंडल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरपी अग्रवाल से मिला और ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष डॉ. अनिल लांबा, डॉ. एसपी भारद्वाज, डॉ. रणजीत, डॉ. जयनारायण, डॉ. रवि गोयल, डॉ. प्रदीप कुमार आदि शामिल थे। वहीं शाम को रेजीडेंट चिकित्सकों ने मेडिकल कॉलेज से एसपी ऑफिस तक कैंडल मार्च भी निकाला।
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छह नवंबर को रेस्मा लागू करने के बाद से चिकित्सक भूमिगत है। हालांकि एसपी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जिला अस्पताल, गंगाशहर अस्पताल में चिकित्सकों को लगाकर व्यवस्था बनाने के प्रयास किया लेकिन पूरी तरह सफल नहीं हुए। जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ कम रही। वहीं पीबीएम में संभागभर के मरीज पहुंच रहे हैं। यहां हालात बेकाबू हो रहे हैं।
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बुधवार सुबह रेजीडेंट डॉक्टरों ने नौ बजे से 11 बजे तक कार्य बहिष्कार किया और मरीजों को अपने हाल पर छोड़ दिया। एेसे में दो घंटों तक मरीजों की जान सांसत में रही।
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मरीज को संभालने वाला कोई नहीं था। ऐसे परिजन ने वृद्ध मरीज को नेबुलाइजर से दवा दी।
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