बीकानेर जिले से लगती डेढ़ सौ किलोमीटर से ज्यादा लम्बी सरहद का क्षेत्र नहरी पानी पर निर्भरता वाला है। अभी नहरबंदी के चलते नहरों में पानी चल नहीं रहा। गांवों में बनी डिग्गियों में भी पानी नहीं है। ग्रामीण ट्यबवेल आदि से अपने लिए पानी का बंदोबस्त कर रहे हैं। सबसे बड़ा संकट पशुधन के लिए है। ग्रामीण अपने पालतू दुधारू पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए परेशान हैं। राेही में घूमने वाले बेसहारा गोवंश और अन्य पशुओं के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इस क्षेत्र में रहने वाले जीव-जंतु और पक्षी भी पानी के लिए परेशान हैं। ऐसे में बीएसएफ ने रोजाना अपनी चौकियों तक पानी पहुंचाने वाले टैंकरों से जीव-जंतुओं और पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करनी शुरू की है। पक्षियों के लिए जहां तारबंदी के पास पेड़ों पर पालसिए बांधे गए हैं। उनमें रोजाना जवान पानी डालते हैं। वहीं पशुओं के लिए पानी की खेळियां बनाई हुई हैं। इनमें भी पानी भरते हैं।
हर चौकी में पानी भंडारण की व्यवस्था
बीएसएफ की सीमा चौकियों में पानी भंडारण के लिए तालाब बने हुए हैं। इनमें भरे पानी को जवान नहाने-कपड़े धोने आदि में उपयोग लेते हैं। पेयजल के लिए बीएसएफ ने अपने ट्यूबवेल खुदवा रखे हैं। साथ ही आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र के सार्वजनिक ट्यूबवेल से पानी का टैंकर भरकर लाते हैं। बीएसएफ की प्रत्येक बटालियन के पास आवश्यकता अनुसार खुद के टैंकर हैं।