तेज आंधी के चलते शहरवासी घरों से बाहर निकलने में परहेज करने लगे। तेज हवा ने वाहन चालकों की रफ्तार थाम दी। आंधी के चलते तापमान में एक डिग्री पारा गिरावट दर्ज हुई, लेकिन गर्मी के तेवर बरकरार हैं। शहर में बुधवार को अधिकतम तापमान ४१.२ डिग्री व न्यूनतम तापमान २९.९ डिग्री सेल्सियस रहा।
कम दबाव से बीकानेर में आंधी ज्यादा बीकानेर. बीकानेर जिले में हवा का दबाव कम होने से यहां आंधी के गुबार पूरे रेगिस्तान में सबसे ज्यादा उठते हैं। पूरे विश्व में एेसे कम ही क्षेत्र होते हैं जहां चक्रवात व तेज आंधियां आती हंै। विश्व में बीकानेर भी एेसे क्षेत्रों में आता है। इसमें कम दबाव के चलते चक्रवात व तेज धूलभरी आंधियां चलती हंै। पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. अनिल छंगाणी ने बताया कि बीकानेर में सबसे ज्यादा दक्षिणी-पश्चिमी हवाएं चलती हैं।
यहां बीकानेर एेसा केन्द्र है जहां दक्षिणी पश्चिमी हवाएं व उत्तरी हवाएं आपस में क्रॉस करने पर तेज हवाएं चलती है जिससे कम दबाव व हवा की गति कम हो जाती है और बीकानेर में दबाव कम हो जाता है। इसी कारण आंधी का गुबार उठ जाता है और मिट्टी के कणों को इधर-उधर जाने की जगह नहीं मिल पाती और एक जगह उठते रहते हैं। साथ ही बीकानेर के मौसम का डाटा भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाता है।
धूल के कणों का स्तर ८०० माइक्रोग्राम
शहर में दिनभर धूलभरी हवा चलने और आसमान में धूल के गुबार छाए रहने से बुधवार को पीएम-१० पार्टिकुलेट मैटर कणों का स्तर ८०० व ९०० माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यू तक पहुंच गया। जो सीवियर कैटेगरी से भी अधिक था। भयंकर वायू प्रदूषण की वजह से दिल व फेफेंड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोग बेचैन हो गए।
बीकानेर कम दबाव का क्षेत्र है इसीलिए यहां तेज आंधी व चक्रवात आते हैं। पूरे रेगिस्तान में सबसे ज्यादा बीकानेर में ही आंधी के गुबार आते है।
प्रो. अनिल छंगाणी,विभागाध्याक्ष, पर्यावरण एवं विज्ञान विभाग, एमजीएसयू बीकानेर
प्रो. अनिल छंगाणी,विभागाध्याक्ष, पर्यावरण एवं विज्ञान विभाग, एमजीएसयू बीकानेर