हाल ही हुए जिला स्तरीय शिक्षक सम्मेलनों में भी हर शिक्षक संगठन ने अपने प्रस्तावों में सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में देने के फैसले को बदलने की मांग की है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि पिछले तीन सालों में सरकारी स्कूलों मंे नामांकन बढ़ा है, परीक्षा परिणाम भी बेहतर रहा है।
इसके अलावा सरकार की छात्रवृत्ति योजना, नि:शुल्क साइकिल व लैपटॉप वितरण, नि:शुल्क पुस्तकें, बालिका प्रोत्साहन आदि योजनाओं से अभिभावकों का रुझान सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ रहा है, एेसे में स्कूलों को निजी हाथों में देना सरकार का निर्णय सही नहीं है।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार उन स्कूलों को निजी हाथों को दे रही है, जिनमें एक हजार या इससे अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। ये विद्यालय भौतिक संसाधनों एवं शैक्षिक परिवेश में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम दिया ज्ञापन
राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने बुधवार को जिला कलक्टर को प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने के फैसले को वापस लेने की मांग की। संघ के जिला मंत्री जयराम चौधरी ने बताया कि सरकारी स्कूलों में अध्यापकों व लिपिकों के हजारों पद रिक्त होने के बाद भी नामांकन बढ़ा है, परीक्षा परिणामों में भी सरकारी स्कूल पीछे नहीं हैं।
राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने बुधवार को जिला कलक्टर को प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने के फैसले को वापस लेने की मांग की। संघ के जिला मंत्री जयराम चौधरी ने बताया कि सरकारी स्कूलों में अध्यापकों व लिपिकों के हजारों पद रिक्त होने के बाद भी नामांकन बढ़ा है, परीक्षा परिणामों में भी सरकारी स्कूल पीछे नहीं हैं।
इसके बावजूद सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देना दुर्भाग्यपूर्ण है। ज्ञापन देने वालों मंे संगठन के वीरेन्द्र सिंह, जिलाध्यक्ष उदयनारायण सिंह, अशोक रामावत, निर्मल क ंवर, तुलसीदास जोशी, पदमनाथ सिद्ध आदि शामिल थे।