यह बात शनिवार को स्वामी केशवानन्द कृषि विश्वविद्यालय में चलने वाले एक वर्षीय उद्यानिकी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बी.आर. छीपा ने कही। उन्होंने कहा कि बागवानी व्यवसाय को तीन रूप में बांटकर देखा जा सकता है।
पौधशाला व्यवसाय, खेती बागवानी व्यवसाय, अलंकृत बागवानी व्यवसाय। इससे युवा स्वावलम्बी बन सकते हैं और अपनी आजीविका को आधार बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में जिस तरह से भारत की आबादी बढ़ रही है,
उसके अनुसार लोगों की जरूरतें भी बढ़ रही हैं और सबसे मुख्य जरूरत है फल व सब्जी की, यहसिर्फ खेतों से ही प्राप्त होती है। डॉ. पी.एल. नेहरा ने दलहन उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता बताई। देश की दलहन आपूर्ति के लिए 4.2 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता है।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. इन्द्रमोहन वर्मा, ने बताया कि ग्रीन हाउस सिंचाई, नर्सरी में पौध तैयार करने की वैज्ञानिक तकनीक है। इस प्रशिक्षण में 25 युवाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. सुभाष ने मेहमानों और विद्यार्थियों का धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में डॉ. दीपाली धवन, डॉ. आई.जे. गुलाटी, डॉ. वाई सुदर्शन, ई. विपिन लढढा उपस्थित थे।